India News (इंडिया न्यूज),World Leprosy Day 2025: हिमाचल में कुष्ठ रोग साल 2000 के बाद से सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या नहीं रही है। फिर भी बीमारी को लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 3  साल में इस बीमारी में काफी इजाफा हुआ है। सोलन में सबसे ज्यादा 101 कुष्ठ रोगी सामने आए है। कांगड़ा दूसरे स्थान पर है। यहां पर भी 3  साल में 26, 18 और 12 नए रोगी सामने आए है।

विकलांगता का कारण भी बन सकती है

कुष्ठ रोग 1  संक्रामक बीमारी है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह मुख्य रूप से त्वचा, नसों, आंखों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार  बाहरी राज्यों से काम के सिलसिले में आए श्रमिकों में यह बीमारी देखने को मिली है। जिनकी आयु 20 से लेकर 80 साल के बीच की है। चिकित्सकों का कहना है कि उपचार न मिलने पर यह स्थायी विकलांगता का कारण भी बन सकती है।

इलाज करवाना चाहिए

आपको बता दें कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह ज्यादा होती है। जबकि कई लोग मानते है कि यह श्राप की वजह से हुई है। ऐसे में इस तरह के मिथकों को नजरअंदाज करना चाहिए। अगर किसी सफेद हल्के रंग के धब्बे, हाथ और पैर में कमजोरी आए तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करवाना चाहिए।