होम / Char Dham Road Project vs China चार धाम के रास्ते से गुजरेगी चीन को थरार्ने वाली ब्रह्मोस मिसाइल

Char Dham Road Project vs China चार धाम के रास्ते से गुजरेगी चीन को थरार्ने वाली ब्रह्मोस मिसाइल

Sameer Saini • LAST UPDATED : December 19, 2021, 11:10 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Char Dham Road Project vs China : देशवासियों के लिए एक खुशनुमा खबर है कि चार धाम रोड के प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ को हर मौसम में संबंध जोड़ने वाली सड़कों से कनेक्ट किया जाएगा। चीन से तनावपूर्ण संबंधों के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हमारे रक्षा मंत्रालय ने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का हवाला देते हुए इन रास्तों से चीन की सीमा तक ब्रह्मोस मिसाइलों को ले जाने के लिए सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने का अनुरोध किया था। इन सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर करने की मंजूरी मिल गई है।

यह है चार धाम रोड परियोजना

चार धाम रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य उत्तराखंड स्थित हिंदुओं के चार धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए सभी मौसमों के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 12 हजार करोड़ की लागत से 900 किमी लंबे चार धाम प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाना है। इस प्रोजेक्ट से ऋषिकेश से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने के लिए तीन नेशनल हाईवे बनाए जाने हैं। इन चारों स्थलों के लिए आॅल-वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए, जिन हाईवे का निर्माण होना है, उनमें-ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक तीन हाईवे का निर्माण शामिल है। (Char Dham Road Project vs China)

सुरक्षा के लिहाज से ये प्रोजेक्ट जरूरी

चार धाम रोड प्रोजेक्ट में चौड़े रोड बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क दिया था कि पूरे लाइन आॅफ एक्चयुअल कंट्रोल के आसपास चीन की गतिविधि बढ़ने की चिंता के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों और अन्य मिलिट्री संसाधनों को चीन की सीमा तक ले जाने के लिए चार धाम प्रोजेक्ट में चौड़ी सड़कों का निर्माण किया जाना जरूरी है।

इसलिए जोड़ा चार धाम प्रोजेक्ट की सड़कों से

सुप्रीम कोर्ट में चार धाम प्रोजेक्ट की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि ये दुर्गम इलाके हैं, जहां सेना को भारी वाहनों, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, टुकड़ियां और खाद्य सप्लाई ले जानी होती है। साथ ही हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसे ले जाने के लिए लंबे वाहनों की जरूरत पड़ती है। अटॉर्नी जनरल ने इस मामले में आगे तर्क दिया था कि भगवान न करें कि अगर लड़ाई शुरू हो जाती है। ऐसे में अगर सेना के पास हथियार ही नहीं होंगे तो वह इससे कैसे निपटेगी। हमें सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना है।” (Char Dham Road Project vs China )

यह है ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्क्वा नदियों के नामों को मिलाकर बनाया गया है। ब्रह्मोस रूस की ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।

सबसे तेज और घातक क्रूज मिसाइलों में शामिल

दुनिया की सबसे तेज और घातक क्रूज मिसाइलों में शामिल ब्रह्मोस का निर्माण भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रूसी के एनपीओ माशिनोस्ट्रोयेनिया के ज्वाइंट वेंचर के तहत बने ब्रह्मोस एयरोस्पेस की ओर से किया है। भारत और रूस ने फरवरी 1998 में ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्माण के लिए करार किया था। ब्रह्मोस मिसाइलों का पहला परीक्षण जून 2001 में ओडिशा के चांदीपुर रेंज से किया गया था। (Char Dham Road Project vs China )

यह है ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत

ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है। जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है। इस मारक रेंज को बढ़ाकर 800 किलोमीटर तक करने का काम जारी है। वहीं, हवा से छोड़ने पर ब्रह्मोस 400 किलोमीटर रेंज तक मार कर सकती है। इस रेंज को बढ़ाकर 1500 किलोमीटर किए जाने पर भी काम चल रहा है।

दिसंबर 2021 में ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 फाइटर प्लेन से दागे जाने का सफल टेस्ट किया गया है। एयर लॉन्च्ड ब्रह्मोस का वजन करीब 2.5 टन, रेंज 300 किलोमीटर और स्पीड मैक 2.8 (3500 किमी/घंटे) है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी। इस मिसाइल के हाइपरसॉनिक वर्जन ब्रह्मोस का विकास जारी है और इसकी टेस्टिंग 2024 तक होने की उम्मीद है। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 1500 किमी तक होगी और ये मैक 7-8 स्पीड (8500-9000 किमी/घंटे) से उड़ने में सक्षम होगी। ये दुनिया की सबसे तेज हाइपरसॉनिक मिसाइल होगी।

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत

इसे जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है। क्रूज मिसाइल होने की वजह से यह जमीन से काफी कम, महज 10 मीटर की, ऊंचाई पर ही उड़ान भरती है। कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती है। ब्रह्मोस को ट्रैडीशनल लॉन्चर के अलावा वर्टिकल लॉन्चर से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस का मॉडर्न वर्जन मेनुवरेबल तकनीक से भी लैस है। यानी, इसमें दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रास्ता बदलने की भी क्षमता है। आमतौर पर मिसाइलें या लेजर गाइडेड बम पहले से तय लक्ष्य को ही निशाना बना पाते हैं, जबकि ब्रह्मोस मिसाइल दागे जाने के बाद भी अगर उसका लक्ष्य अपना स्थान बदल रहा है, तब भी उसे निशाना बना लेती है।

  • ब्रह्मोस मिसाइल सतह से 10 मीटर से लेकर 14,000 मीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल की लंबाई आमतौर पर 8 से 9 मीटर, यानी 26 से 30 फीट तक होती है। ब्रह्मोस के कई वैरिएंट की लंबाई 42 फीट तक है।
  • शिप और लैंड बेस्ड ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलोग्राम वॉरहेड ले जा सकती है। इसका एरियल वैरिएंट 300 किलोग्राम वॉरहेड कैरी कर सकता है।
  • ब्रह्मोस मिसाइलों का वजन 2200 किलोग्राम से लेकर 3000 किलोग्राम तक होता है।

ब्रह्मोस मिसाइल और चीन का है क्या कनेक्शन (Char Dham Road Project vs China )

सरकार ने चार धाम रोड प्रोजेक्ट की सुप्रीम कोर्ट में सुनाई के दौरान लिए देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए उत्तरी चीन सेना तक ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने का हवाला देते हुए सड़कों को चौड़ा करने की इजाजत मांगी थी। चीन के साथ सीमा पर तनाव के दौर में भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती ड्रैगन के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात होगी। ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती से निश्चित तौर पर चीन के कई शहर इस घातक क्रूज मिसाइल की जद में होंगे।

भारत ने जून 2021 में 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल का लाइव टेस्ट किया था। हाल ही में सुखोई-30 के साथ ब्रह्मोस का टेस्ट किया गया है। भारत के ये सुपरसॉनिक मिसाइल ब्रह्मोस टेस्ट चीन को भारत की मिसाइल क्षमता का अंदाजा कराते रहते हैं। भारत के हाल ही में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करने के फैसले की चीनी मीडिया ने कड़ी आलोचना की थी और इसे दोनों देशों के संबंधों में तनाव लाने की कोशिश करार दिया था। ब्रह्मोस की तैनाती को लेकर चीनी मीडिया के इस हंगामे को ही इस मिसाइल को लेकर चीन का डर माना जा रहा है।

Also Read : Omicron Update India महाराष्ट्र में 8, कर्नाटक में नए वैरिएंट के छह और केस

Read More : New Covid 19 Omicron Test Kit आईआईटी दिल्ली ने ओमिक्रॉन की जांच के लिए किट बनाने का किया दावा

Read more: 16 Students Corona Infected in a School in Navi Mumbai कतर से लौटे थे एक छात्र के पिता

Connect With Us : Twitter Facebook

लेटेस्ट खबरें

Karisma नहीं है Kareena की बहन का नाम, घर के लोग ही नहीं लेते सही नाम
कांग्रेस जयपुर में आम सभा में जारी करेगी घोषणा पत्र, ओल्ड पेंशन स्कीम,स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी के आसार
Kangana Ranaut के निशाने पर आई उर्मिला मातोंडकर, पुराने इंटरव्यू का इस तरह दिया जवाब
Arvind Kejriwal Arrest: केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने जेल में बंद सीएम के लिए चलाया ये अभियान, इस जरिए दिया जाएगा आशीर्वाद
Bengaluru: कैब ड्राइवर ने किया यात्रियों पर हमला, वजह जानकर चौंक जाएंगे
बेटे AbRam की मोटी फीस भरते हैं Shah Rukh, स्कूल का फिस कार्ड देख उड़ जाएगी नींद
BRO ने लद्दाख के लिए खोला नया मार्ग, जानें मनाली को लेह से जोड़ने वाले तीसरे और सबसे छोटे रास्ते की खासियत
ADVERTISEMENT