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Rajasthan Election: राजस्थान में जाट बदल सकता है मूड! जानें क्यों लग रहीं ऐसी अटकलें

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : February 13, 2024, 2:03 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Election: राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ आने का असर राजस्थान की राजनीति पर भी पड़ना तय है। किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के बाद जाट बाहुल्य राज्यों की राजनीति सीधे तौर पर प्रभावित होती दिख रही है। जाटों का झुकाव बीजेपी की तरफ हो सकता है।बीते दस साल में बीजेपी पार्टी के अंदर जाट समुदाय से कोई बड़ा नेता तैयार नहीं कर पाई है। साहिब सिंह वर्मा एक समय में जरूर बीजेपी के पास जाट चेहरा थे,लेकिन उनके निधन के बाद न तो उनका बेटा प्रवेश वर्मा और ना ही कोई दूसरा नेता वो जगह बना पाया। कोशिशें हुई लेकिन पार्टी ने बढ़ावा नहीं दिया।

जाट बाहुल्य इलाकों में हुआ भारी नुकसान 

राजस्थान में जाट समुदाय से आने वाले सतीश पूनिया को साढ़े चार साल प्रदेश का अध्यक्ष बनाए रखा, लेकिन पिछले साल चुनाव से ठीक पूर्व वे पार्टी गुटबाजी के शिकार हो गए और उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। पार्टी का यह फैसला हैरान करने वाला था, क्योंकि राजस्थान में भी जाट बड़े हिस्से में असर डालता है। बीजेपी को चुनाव में जाट बाहुल्य इलाकों में नुकसान भी हुआ। पार्टी तब से कोशिश में थी कि जाट और किसान वर्ग को कैसे साधा जाए,क्योंकि लोकसभा चुनाव में ये वर्ग नाराज रहता तो बीजेपी का 370 के नारे को झटका लग सकता था।

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का किसानों और जाटों में बड़ा संदेश गया है। बीजेपी विरोधी माने जाने वाला जाट वर्ग अब साथ आ सकता है। हालांकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में तमाम विरोध के बाद भी जाटों ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया। लेकिन हरियाणा और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जाट वोट बीजेपी को कम मिला।इसके चलते हरियाणा में बीजेपी को गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी और राजस्थान में उम्मीद से कम सीट आई।

जाट समुदाय से हैं उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़

जाट बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस को जीत मिली। राजस्थान में जाटों की नाराजगी की कई वजह थी। एक तो बीजेपी ने पिछले साल चुनाव से ठीक पहले जाट समुदाय से आने वाले सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इसके बाद सरकार बनने पर भी जाट समुदाय को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। केंद्र में भी जाट को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। पार्टी का सबसे बड़ा संकट यही था कि जाट समुदाय का कोई नेता इस स्तर का नहीं मिल पाया जो राष्ट्रीय चेहरे के रूप में स्थापित हो सके। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के जाट समुदाय से आने वाले जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति बनाया जरूर लेकिन वह ज्यादा असरदार नहीं रहा।

 तीसरी बार हो सकती है जीत 

अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे कर जाटों के बड़े वर्ग को साधा है। पश्चिम उत्तर प्रदेश,  हरियाणा,पंजाब पर तो असर पड़ेगा राजस्थान के नाराज जाटों को भी खुश करने की कोशिश की गई है। राजस्थान में जाट लोकसभा की 8 से 10 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
विधानसभा चुनाव में लोकदल का कांग्रेस से गठबंधन था। इसी के चलते लोकदल के सुभाष गर्ग दो बार से कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव जीतते आए हैं। जाट बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीट जीती। अब समीकरण बदलेंगे। गर्ग कह भी चुके है राष्ट्रीय नेतृत्व जो भी फैसला लेगा वह उन्हें स्वीकार्य होगा। एक तरह से कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका होगा। राजस्थान में अगर जाट समुदाय खुल कर बीजेपी के साथ आ जाता है तो फिर 25 की 25 सीट बीजेपी तीसरी बार जीत सकती है।

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