आदि महोत्सव’ का आयोजन 16 से 27 फरवरी तक दिल्ली के मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय स्टेडियम में किया जा रहा है।पीएम मोदी बोले, यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है, जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है। आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है 21वीं सदी का नया भारत ‘सबका साथ सबका विकास’ के दर्शन पर काम कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ सप्ताहें बिताए हैं। मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा है। उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है, आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में ‘आदि महोत्सव’ जैसे आयोजन देश के लिए एक आंदोलन बन गए हैं। मैं भी कई आयोजनों में भाग लेता हूं, मैं ऐसा इसलिए करता हूं। क्योंकि आदिवासी समाज का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत भी है और भावनात्मक भी, आज वैश्विक मंचों से भारत आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है। आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए आपको रास्ता मिल जाएगा।
आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है। अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे।
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