प्राकृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संकट से घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मंगलवार (1 नवंबर) को अपने दो दिवसीय दौरे के लिए मित्र देश चीन पहुंचे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की पाकिस्तान का पीएम बनने के बाद शरीफ की यह पहली चीन यात्रा है।
पहले ऐसे विदेशी नेता के तौर पर भी उनका नाम दर्ज हो गया, जिन्होंने शी जिनपिंग को मिले तीसरे कार्यकाल के बाद उनसे मुलाकात की इस मुलाकात से पहले शरीफ ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए एक लेख भी लिखा, जिसमें पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री रहते हुए अर्जित की अपनी उपब्धियों को उन्होंने गिनाया और यह बताने की कोशिश की कि दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ रखने और व्यापार को बढ़ाने देने के लिए वह उपयुक्त लीडर हैं।
पाकिस्तान में इस महीने के आखिर में सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा का रिटायरमेंट होने वाला है, पाकिस्तान की राजनीति में सेना का अच्छा-खासा दखल माना जाता है और पूर्व पीएम और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन की गठबंधन सरकार को घेरने से कोई मौका नहीं छोड़ा है। ऐसे संवेदनशील समय में शरीफ की चीन यात्रा का उदेश्य क्या है? यह सवाल खड़े हो रहे है।
शहबाज शरीफ की इस यात्रा के पीछे कई अहम कारण हैं-
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने अपनी सरकार गिरने के पीछे अमेरिका का हाथ बताया था इससे पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध प्रभावित हुए पाकिस्तानी सेना अमेरिका से संबंध सुधारने के प्रयास में लगी है अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में उसके लिए चीन को रूस से भी ज्यादा खतरनाक बताया है ऐसे में एक तरफ पाकिस्तान को अमेरिका से अपना हित साधना है तो दूसरे ओर चीन के साथ घनिष्ठ संबंध में संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी उसके लिए पैदा हो गई है।
शरीफ ने कहा कि चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश साझेदार है उन्होंने कहा की हम मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते की शर्तों के तहत इन करारों को विस्तार देना चाहते हैं।
चीनी अखबार में लिखे लेख में भी शरीफ ने पाकिस्तान में चीन के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अपनी सरकार की दृढ़ता का उल्लेख करा है शरीफ ने ऑप-एड आर्टिकल में लिखा पाकिस्तान में चीनी कर्मियों और परियोजनाओं की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है पाकिस्तान में कीमती चीनी जिंदगियों का नुकसान हमारा नुकसान है मेरी सरकार इन निंदनीय कृत्यों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
2013 से 16 के बीच शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज शरीफ प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने चीन से सीपीईसी पर बात की थी परियोजना को लेकर समय-समय पर निंदा और पाक की आधी-अधूरी भागीदारी को लेकर चीन खुश नहीं था। शुरुआत में यह परियोजना 42 अरब डॉलर की लागत वाली थी, बाद में इसे बढ़ाकर 67 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट बना दिया गया लेकिन इसने 25 अरब डॉलर के निशान से आगे बढ़ने में बहुत संघर्ष किया था।
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