Supreme Court
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर Supreme Court में सुनवाई जारी है। इस दौरान केंद्र व दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी सुननी पड़ रही है। पराली जलने का लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी को लेकर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सरकार अगर पराली जलाने को लेकर किसानों से बात करना चाहती है तो बेशक करे लेकिन हम किसानों पर कोई जुर्माना नहीं लगाना चाहते।
दिल्ली के 5-7 स्टार होटलों में बैठकर किसानों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है। लेकिन कोई यह नहीं समझना चाहता कि किसानों को पराली क्यों जलानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्रोत से ज्यादा प्रदूषण टीवी डिबेट फैलाते हैं। वहां हर किसी का कोई न कोई एजेंडा है। हम यहां उपाय ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ बैठकें ही हो रही हैं। कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कुछ दिन सड़क से गाड़ियां हटाकर केवल सार्वजनिक परिवहन चलाने जैसी बातें क्यों नहीं की जातीं? दिल्ली में एयर क्वालिटी में कोई सुधार नहीं आ रहा है। बुधवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 379 है जो बहुत खराब कैटेगरी में आता है। सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण के मसले पर केंद्र और दिल्ली सरकार से एक्शन प्लान मांग चुका है। आज फिर इस मामले में कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
इस पर दिल्ली सरकार ने जवाब दिया कि हमने दफ्तरों को बंद कर दिया है लेकिन एनसीआर से गाड़ियां तो आएंगी ही। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने पूछा कि क्या आप सीएनजी बसों की संख्या बढ़ा सकते हैं जिससे लोग उसमें दफ्तर जाएं। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि यह देखना होगा कि कितनी बसें हैं लेकिन एनसीआर से आने वाली गाड़ियों को क्या करेंगे?
वही केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मीडिया में हमारे खिलाफ पराली को लेकर गलत खबरें चलाई गईँ। कहा गया कि हमने कोर्ट को गुमराह किया है। इसलिए हम कोर्ट में अपनी सफाई पेश करना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट को गुमराह नहीं किया है। सार्वजनिक रूप से ऐसी आलोचना होती रहती हैं। हमारा उद्देश्य साफ है। इसलिए मुद्दे से न भटकिए और यह सब भूल जाइए।
बता दें कि मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों के लिए निर्देश जारी किए। इन निर्देर्शों के तहत प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कई निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। वाहनों के प्रदूषण को रोकने के लिए कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है।
बच्चों पर प्रदूषण का ज्यादा गंभीर असर न पड़े, इसलिए राजधानी में अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। दिल्ली-एनसीआर के सभी सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे। हालांकि इस दौरान आनलाइन पढ़ाई ही होगी। दिल्ली में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सारे ट्रकों की एंट्री पर 21 नवंबर तक रोक लगा दी गई है। इसमें सिर्फ जरूरी सामानों को ढोने वाले ट्रकों को ही छूट दी गई है।
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