Eastern Ladakh
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने और शांति बनाए रखने के लिए भारत और चीन के बीच उच्च सैन्य स्तर की 13वें दौर की वार्ता चल रही है। ये बैठक सुबह 10:30 बजे शुरू हुई। इससे पहले 31 जुलाई को 12वें दौर की बैठक हुई थी, जिसमें 9 घंटे तक बातचीत चली थी। वहीं हर बार की तरह 13वें दौर की बैठक में भी दोनों देशों की ओर से सेना को पीछे करने पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा डेपसांग और देमचोक के मुद्दे पर भी वार्ता होगी।

13वें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं। माना जा रहा कि इस वार्ता में भारतीय पक्ष देप्सांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालने के अलावा टकराव वाले शेष बिंदुओं से जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी की मांग करेगा

बता दें कि इस बैठक से एक दिन पहले ही शनिवार को सेना प्रमुख ने कहा था कि जब तक चीनी सैनिक वहां मौजूद रहेंगे, हमारे जवान भी डटे रहेंगे। सेना उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रही है और किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान के आतंकियों की घुसपैठ को भी गंभीर मसला बताया।

मनोज नरवणे ने कहा कि बेशक चीन की आर्मी का एलएसी के पार बुनियादी ढांचे बना रही है लेकिन लेकिन हमारी तैयारी भी पूरी है। हमारे सैनिक हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं और दुश्मन का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इससे पहले 14 जुलाई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। उस वक्त दुशांबे में शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई। इस दौरान भी जयशंकर ने कहा था कि स्थिति में एकतरफा परिवर्तन किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं होगा।

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