इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
1998 Road Rage Case पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अमृतसर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे सिद्धू को तैंतीस वर्ष पुराने रोड रेज मामले में नोटिस जारी किया है। आज कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सिद्धू से दो सप्ताह में जवाब मांगा। बता दें कि पीड़ित परिवार ने मामले में साधारण चोट की बजाए गंभीर अपराध की सजा देने की याचिका शीर्ष अदालत में दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू के इस मामले को पहले साधारण चोट का मामला बताया था। इसी के आधार पर उन्हें सजा तय करने का फैसला किया गया था कि सिद्धू को जेल की सजा सुनाई जाए या नहीं। आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कई पुराने मामलों में आए फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, रोड पर हुई हत्या व उसकी वजह पर कोई विवाद नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी साफ है कि यह हत्या का मामला है और हार्टअटैक से मौत नहीं हुई, बल्कि हमले के कारण चोट आई थी। वकील ने दोषी की सजा बढ़ाने की मांग की।
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नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से पी चिदंबरम ने याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने पीड़िता परिवार पर मामले को अलग दिशा देने का आरोप लगाया। चिदंबरम ने कहा कि यह मामला आईपीसी की धारा 323 के अंतर्गत आता है। बता दें कि यह घटना वर्ष 1998 की है और कोर्ट पहले इसमें सिद्धू को सजा सुना चुका है। मामूली चोट पहुंचाने के दोष में उन्हें एक साल की सजा हुई है।
जस्टिस संजय किशन कौल ने मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष से आज कहा कि पिछले जो फैसले लिए गए थे, उनके मुताबिक यह केस केवल मामूली चोट नहीं, बल्कि एक खास श्रेणी में आता है और अब आपको उन दलीलों के साथ बचाव करना है। पूरे फैसले की बजाय आपको सजा की इन्हीं दलीलों पर अपना जवाब रखना है। मौजूदा स्थिति में हम केवल इसी पर सुनवाई को फोकस रखना चाहते हैं। हम पेंडोरा बॉक्स नहीं खोलना चाहते।
घटना 1988 में 27 दिसंबर को पटियाला में हुई थी। सिद्धू व उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू की गुरनाम सिंह नाम के बुजुर्ग से कार पार्किंग को लेकर बहस हो गई थी। इस बीच गुरनाम की मौत हो गई थी। सिद्धू और रुपिंदर संधू पर पंजाब सरकार के साथ पीड़ित परिवार ने इस संबंध में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था। पंजाब सरकार और पीड़ित परिवार की तरफ से मामला दर्ज करवाया गया था।
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