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Shramjeevi Express Blast: 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए विस्फोट मामले में 2 को मौत की सजा

India News (इंडिया न्यूज), Shramjeevi Express Blast: उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट के सिलसिले में बांग्लादेश के एक व्यक्ति सहित दो लोगों को बुधवार को मौत की सजा सुनाई, जिसमें कम से कम 14 लोग मारे गए और 62 घायल हो गए।

इस मामले में दो अन्य दोषियों को 2016 में मृत्युदंड दिया गया था और उनकी अपीलें उच्च न्यायालय में लंबित हैं। दो अन्य आरोपी मुठभेड़ में मारे गए और एक फरार है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश राजेश कुमार राय की अदालत ने बांग्लादेश निवासी हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल निवासी नफीकुल विश्वास को मौत की सजा सुनाई।

‘आरोपियों की निर्दोष लोगों से कोई दुश्मनी नहीं’

बता दें कि लोगों को असहनीय दर्द सहना पड़ा। आरोपियों की निर्दोष लोगों से कोई दुश्मनी नहीं थी। आरोपियों ने लोगों में दहशत फैलाने की पाशविक मंशा से एक साजिश के तहत इस आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया। कोर्ट ने 10 पन्नों के फैसले में कहा, आरोपी के साथ सहानुभूति और नरमी दिखाने का कोई औचित्य नहीं है।

इस मामले में, जब लोग 28 जुलाई, 2005 को श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में यात्रा कर रहे थे, तो आरोपी ने ट्रेन की एक जनरल बोगी में सीट के नीचे आरडीएक्स का उपयोग करके तैयार किया गया एक अटैची बम लगाया, बम घटनास्थल पर ही फट गया।” पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित निर्दोष लोगों की हत्या करना। और कई अन्य घायल हो गए…” फैसले में कहा गया। दोनों व्यक्तियों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था, जिन्हें 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था।

जौनपुर स्टेशन के पास हुआ था विस्फोट

28 जुलाई, 2005 को शाम लगभग 5 बजे उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्टेशन के पास पटना-नई दिल्ली ट्रेन के एक कोच में विस्फोट हुआ। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरडीएक्स कोच के शौचालय में रखा गया था। इस विस्फोटक का इस्तेमाल उस समय देश में कई आतंकवादी हमलों में किया गया था, जिसमें जून 2000 का अयोध्या ट्रेन बम विस्फोट भी शामिल था।

‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे’

आरोपियों के वकील ताजुल हसन ने कहा कि वे इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। “हम इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।

दोनों को आंध्र प्रदेश की चेरापल्ली जेल से जौनपुर जेल लाए जाने के बाद 2016 में मामले की सुनवाई शुरू हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि जौनपुर में दो युवक सफेद सूटकेस के साथ ट्रेन में चढ़े थे। कुछ ही देर बाद दोनों बिना सूटकेस के चलती ट्रेन से बाहर कूद गए और कुछ मिनट बाद विस्फोट हो गया।

इसके खिलाफ दर्ज हुआ मामला

जिला सरकारी वकील ने कहा कि राजकीय रेलवे पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनमें आलमगीर उर्फ रोनी, ओबैदुर्रहमान, हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल, नफीकुल विश्वास, गुलाम पचदानी याहिया, कंचन उर्फ शरीफ और डॉक्टर सईद शामिल हैं। पुलिस सईद का पता नहीं लगा पाई है। शेष छह आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। जिला सरकारी वकील सतीश पांडे ने कहा कि गुलाम पचदानी और कंचन की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई। बाकी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। 2016 में आलमगीर और ओबैदुर रहमान को मौत की सजा सुनाई गई थी। दोनों ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की है।

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Rajesh kumar

राजेश कुमार एक वर्ष से अधिक समय से पत्रकारिता कर रहे हैं। फिलहाल इंडिया न्यूज में नेशनल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले एएनबी, विलेज कनेक्शन में काम कर चुके हैं। इनसे आप rajeshsingh11899@gmail.com के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

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