नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कर्मियों के डीए-डीआर (arrears of DA-DR) का एरियर रोके जाने के खिलाफ अब कर्मी लामबंद होने लगे हैं। फिलहाल, कर्मियों ने केंद्र सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया है। कर्मियों ने इसे अदालत में जाने से पूर्व की कार्रवाई बताया है। जेसीएम के सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत तीन सितंबर को कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा है कि अगर सरकार एक माह में कर्मियों के एरियर को लेकर कोई घोषणा नहीं करती है तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जाएगा।
श्रीकुमार का कहना है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने कोविड-19 की आड़ लेकर सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के डीए-डीआर पर रोक लगा दी थी। महामारी के दौरान रेलवे, रक्षा, डाक और अस्पताल के कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। इन कर्मियों ने पीएम केयर फंड में एक दिन का वेतन जमा कराया था। सरकार ने कर्मियों के 11 फीसदी डीए का भुगतान रोक कर 40000 करोड़ रुपये बचा लिए। कर्मियों के दबाव के चलते केंद्र ने गत एक जुलाई से 11 फीसदी की दर से डीए-डीआर जारी करने का निर्णय लिया है।
कर्मियों का कहना है कि सरकार ने एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक के डीए-डीआर की बकाया राशि को लेकर कोई बात नहीं की। साथ ही, यह आदेश भी जारी कर दिया कि एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक डीए-डीआर फ्रÞीज कर दिया गया था। उस अवधि में डीए की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। इन 18 महीनों में डीए की दर 17 फीसदी ही मानी जाए। सरकार की इस बात से साफ हो गया कि कर्मी अब बकाया राशि का इंतजार न करें।