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5 कारणों से छीन गई इमरान की कुर्सी, आखिर क्या की थी गलती

Suman Tiwari • LAST UPDATED : April 10, 2022, 11:54 am IST
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5 कारणों से छीन गई इमरान की कुर्सी, आखिर क्या की थी गलती

imran khan

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
लगभग एक माह से पाकिस्तान में चल रहा सियासत (Pakistan politics) का खेल आखिरकार बीती देर रात खत्म हो गया। क्योंकि इमरान सरकार ( Imran Khan) नेशनल असेंबली में हुई वोटिंग में हार गई, जबकि विपक्ष 174 वोट पाने में कामयाब रहा। कुर्सी जाने के बाद इमरान को प्रधानमंत्री आवास भी खाली करना पड़ा।  (Imran had to vacate the Prime Minister’s residence) इसके साथ ही उनके ऊपर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं, जिससे उनके लिए और मुश्किलें बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि इमरान सरकार को कुछ गलतियों की वजह से अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। तो आइए जानते हैं किन गलतियों के कारण इमरान को सत्ता से हाथ धोना पड़ा।

 Imran Khan ने पीएम हाउस छोड़ा

5 top reasons why power was snatched from pm imran khan

जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी। उसी समय से ये खबर भी पाकिस्तान में तैर रही ही थी कि Imran Khan को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि आज तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए। सत्ता से निकलने के बाद उनके बुरे दिन शुरू हो गए हैं। शायद इसे Imran Khan की पार्टी के नेता भांप चुके हैं। इमरान को इस बात का अंदाजा था कि उनकी सत्ता बहुत देर तक बची नहीं है। शायद इसीलिए जब नेशनल असेंबली में वोटिंग की प्रक्रिया चल रही थी। Imran Khan इस्लामाबाद वाले पीएम हाउस को खाली कर रहे थे। एक साथ उनके घर से गाड़ियों का काफिला निकला। बताया गया कि इमरान खान ने पीएम हाउस छोड़ दिया। अब वो फिर से अपने पुराने घर बनीगाला चले गए हैं।

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पाक की बदहाल अर्थव्यवस्था

इमरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन अब जब वह जा रहे हैं, तो पाकिस्तान सबसे बदहाल (poor economy of pakistan) स्थिति में है। इमरान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की जीडीपी 315 अरब डॉलर से गिरकर 264 अरब डॉलर की रह गई है। महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस साल फरवरी में रिटेल महंगाई 12.2 फीसदी और होलसेल महंगाई 23.6 फीसदी तक पहुंच गई। पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इमरान के सत्ता संभालने के समय 1 अमेरिका डॉलर के मुकाबले 109 पाकिस्तानी रुपए की कीमत अब गिरकर 1 डॉलर के मुकाबले 186 पाकिस्तानी रुपए हो गई है।

वहीं इस साल जनवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 13 फीसदी तक पहुंच गया, जो 2 सालों में उच्चतम है। यानी इमरान के राज में पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था सुधरने के बजाय और रसातल में पहुंच गई। विपक्षी दलों ने भी इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए देश की खराब माली हालत को भी प्रमुख वजह करार दिया था।

उस्मान बुजदार की पंजाब सीएम पद पर नियुक्ति

  • इमरान ने सत्ता में आने के बाद 2018 में ही उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम नियुक्त किया था। लेकिन बुजदार इस पद के लिए अयोग्य साबित हुए। उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम बनाने के इमरान के फैसले को उनके पूरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल माना जा रहा है।
  • पाकिस्तान में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले पंजाब प्रांत के सीएम को वहां पीएम के बाद दूसरा सबसे ताकतवर पद माना जाता है। उस्मान बुजदार की पंजाब प्रांत को संभालने की असफलता से इमरान की पार्टी पीटीआई में गुटबाजी को बढ़ावा मिला और कई नाराज सदस्यों ने उनकी शिकायतों का समाधान न होने की बात कहते हुए पार्टी से किनारा कर लिया। आखिर में इस साल मार्च में उस्मान बुजदार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया।
  • माना जा रहा है कि बुजदार के सीएम बनने से पंजाब प्रांत में इमरान की पार्टी की स्थिति कमजोर हुई। विपक्ष का आरोप है कि इमरान ने उस उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम बनाया, जिसे वह कभी सबसे बड़ा चोर कहते थे। साथ ही उस्मान बुजदार पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल के जरिए करोड़े रुपए की रिश्वत लेने के आरोप लगे।

इमरान को भारी पड़ी पाक आर्मी चीफ जनरल की बढ़ी दूरी

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  • 2018 में पाकिस्तान में चुनावी जीत के साथ प्रधानमंत्री बनने वाले इमरान को शुरू से सेना का समर्थन मिल रहा था। उन आम चुनावों में धांधली के आरोप लगे और माना जाता है कि सेना की मदद से इमरान सत्ता पर कब्जा करने में सफल रहे। लेकिन सत्ता संभालने के कुछ ही माह बाद इमरान और सेना में दूरियां बनने लगी।
  • जानकारों का मानना है कि इसकी वजह काफी हद तक इमरान की खुद को पूर्व प्रधानमंत्रियों जुल्फिकार भुट्टो और नवाज शरीफ की तरह खुद को सेना के चंगुल से आजाद पीएम बनने की चाह थी। इसके बाद उन्होंने ऐसे कई कदम उठाए, जिससे उनके और सेना के बीच खाई चौड़ी होती गई।
  • 2019 में इमरान ने पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को कार्यकाल विस्तार को टालने की बहुत कोशिश, हालांकि इसमें सफल नहीं हुए। इसी तरह साल 2021 में इमरान ने बाजवा के चहेते माने जाने वाले जनरल नदीम अंजुम को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया पद पर नियुक्ति में टालमटोल करते रहे और जानबूझकर इसे लटकाने की कोशिश की।
  • साल 2021 ही इमरान ने आईएसआई प्रमुख फैज हमीद को कोर कमांडर बनाकर पेशावर भेज दिया, जिससे बाजवा के रिटायर होते ही वह उनकी जगह सेना प्रमुख बन सकें। इमरान और सेना के संबंधों में आई दरार धीरे-धीरे इतनी चौड़ी हो गई कि वे दोनों एक दूसरे से लगभग हर मुद्दे पर अलग खड़े नजर आने लगे। उदाहरण के लिए हाल ही में इमरान रूस की यात्रा पर पहुंचे और उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर कुछ भी नहीं कहा।
  • ये अमेरिका परस्त मानी जाने वाली पाक सेना के लिए झटका था, इसी वजह से अगले ही दिन जनरल कमर जावेद बाजवा ने यूक्रेन पर रूस के हमले को गलत बताने वाला बयान जारी कर दिया। इमरान यहीं नहीं रुके और उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्वाव के जरिए उन्हें हटाने की कोशिशों को विदेशी साजिश करार दिया और खुलकर इसके पीछे अमेरिका का हाथ होने का नाम लिया। ये अमेरिका समर्थक माने जाने वाली पाक सेना से एकदम उलट रुख है।
  • इमरान ने जहां भारत की विदेश नीति की तारीफ की तो वहीं जनरल बाजवा ने ने कश्मीर-विवाद को बातचीत से हल करने की पेशकश की। जानकारों का मानना है कि वर्तमान संकट में भले ही सेना सीधे तौर पर शामिल नजर न आए लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट के जरिए इमरान को बाहर करने की राह बनाते हुए इमरान को झटका दे दिया है। पाक आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा से हाल के दिनों में बढ़ी दूरी इमरान खान को भारी पड़ी।

इमरान राज में भ्रष्टाचार चरम पर

  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में भ्रष्टाचार (Corruption) और बढ़ा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को सबसे भ्रष्ट 180 देशों की सूची में 2021 में 140 वां स्थान मिला था, इसमें 180वां स्थान दुनिया में सबसे भ्रष्ट देश का होता है। पाक की रैंकिंग 2018 में 117, 2019 में 120 और 2020 में 124 थी। वहीं पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट मुताबिक, इमरान के शासन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में बढ़ौतरी हुई थी।
  • 2022 में लीक हुए स्विस बैंक के एक डेटा से 1400 पाकिस्तानी नागरिकों से जुड़े 600 खातों का पता चला था, जिनमें कई ताकतवर राजनेता और जनरल शामिल हैं। वहीं विपक्षी दल पाकिस्तान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी की खास सहेली माने जाने वाली फराह खान उर्फ फराह गुज्जर उर्फ फराह शहजादी पर अरबों रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप है। नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने हाल ही में फराह और बुशरा पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर 6 अरब रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।
  • विपक्ष का कहना है कि उस्मान बुजदार के पंजाब का सीएम बनाए जाने के बाद इमरान के करीबी माने जाने वाले उस्मान की शह पर फराह ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर जमकर पैसे लूटे। फराह के इमरान की पत्नी बुशरा के खास होने की वजह से विपक्ष लगातार इमरान पर भी निशाना साधता रहा है। फराह और उनके पति के पाकिस्तान छोड़कर दुबई भागने की खबरे हैं।

विपक्ष को कमतर आंकने की गलती

  • इमरान की सबसे बड़ी गलती इस साल जनवरी के बाद विपक्ष के मंसूबों में आए बदलाव को न भांप पाने की रही। विपक्ष ने इमरान और सेना के बीच चौड़ी होती खाई को मौके की तरह इस्तेमाल किया और एकजुट होकर इमरान पर हमला बोला। इमरान ने विपक्षी एकता को कमतर आंका और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह अपनी सत्ता बचाने में सफल रहेंगे। लेकिन खुद उनकी पार्टी और सरकार के सहयोगी उनका साथ छोड़कर चले गए और आखिर में खुद इमरान को जाना पड़ा।
  • सत्ता में आने के बाद से इमरान ने विपक्षी नेताओं को अपने निशाने पर रखा। जानकारों का मानना है कि अगर वह विपक्षी पार्टियों के साथ संबंध बेहतर रखते तो अपनी सरकार के एजेंडे को लागू करने पर ज्यादा ध्यान दे पाते।
    इसके उलट उन्होंने पाकिस्तान की दो मुख्य विपक्षी पार्टियों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) यानी पीएमएल (एन) दोनों के ही नेताओं को अपने निशाने पर रखा। उन्हें अपमानित किया और उनके नेताओं को जेल भेजने से भी नहीं चूके।
  • इमरान और विपक्षी दलों के बीच खाई उनके 44 महीने के कार्यकाल के दौरान हमेशा चौड़ी ही नजर आई। हाल ही में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद देश के नाम अपने संबोधन में इमरान ने विपक्षी नेताओं को चोरों का गैंग कहा था। साथ ही उन्होंने पीपीपी के आसिफ अली जरदारी और पीएमएल (एन) के नवाज शरीफ के परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन चूहे 30 साल से पाकिस्तान को लूटते रहे हैं।

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