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71 150 Calls Training Only 2 Months Ago Reward Fixed For Spreading Violence Investigation Agencies Made Such A Revelation Regarding Murshidabad Violence Mamata Didi Herself Was Stunned To Hear I
भारत में ही हिंदुओं की जान लेने वाली हिंसा पर भयंकर खुलासा, 150 फोन कॉल का वो राज…ममता दीदी की नाक के नीचे चल रहा था क्या खेल?
जांच एजेंसियों ने पाया कि हमला करने और हिंसा फैलाने के लिए इनाम तय था, जो जितना नुकसान पहुंचाएगा, उसे उतना ही इनाम मिलेगा। सामान्य पत्थरबाजी या हमला करने के लिए सभी को 500 रुपये प्रतिदिन दिए जाते थे।
India News (इंडिया न्यूज),West Bengal Murshidabad Violence:पश्चिम बंगाल में वक्फ बिल को लेकर लगातार हिंसा देखने को मिल रही है। भले ही यहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई हो, लेकिन सोमवार (14 अप्रैल) शाम को कई जगहों पर हिंसा देखने को मिली। हालात ऐसे हैं कि कई हिंदू परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। बीजेपी भी इस मुद्दे को उठा रही है। वहीं, दूसरी तरफ बंगाल की सीएम ममता बनर्जी कहती नजर आ रही हैं कि सब कुछ ठीक है। इन सभी घटनाओं के बीच जांच एजेंसियों के खुलासे ने सबकी पोल खोल दी है। जांच एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया कि इस हिंसा के जरिए सिर्फ हिंदू परिवारों को निशाना बनाने की योजना थी, हमलों के चलते कुछ परिवार अपना घर छोड़कर भी चले गए हैं।
जांच एजेंसियों ने पूरी हिंसा का पर्दाफाश किया
जांच एजेंसी ने पाया कि मुर्शिदाबाद हमलों में ये हमले पूरी प्लानिंग के तहत किए गए थे।
पहले मुर्शिदाबाद में रामनवमी के मौके पर हिंसा भड़काने की योजना थी, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के चलते इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।
रामनवमी पर हिंसा न फैले, इसलिए वक्फ बिल की मदद ली गई। इसके जरिए पूरे इलाके में अराजकता फैलाई गई।
लक्ष्य सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, हिंदुओं पर हमला करना, उनकी संपत्ति लूटना, वक्फ बिल के बहाने जितना संभव हो सके उतनी हिंसा फैलाना था।
इस हिंसा के लिए 2 महीने पहले ही ट्रेनिंग दी गई थी कि कैसे पुलिस को चकमा देकर अपना काम कर सकते हैं। जानकारी यह भी सामने आई है कि स्थानीय मदरसे उनकी मदद करते हैं।
जांच एजेंसियों ने पाया कि हमला करने और हिंसा फैलाने के लिए इनाम तय था, जो जितना नुकसान पहुंचाएगा, उसे उतना ही इनाम मिलेगा। सामान्य पत्थरबाजी या हमला करने के लिए सभी को 500 रुपये प्रतिदिन दिए जाते थे।
इस पूरी हिंसा को अंजाम देने के लिए तुर्की से फंडिंग की जा रही थी, जांच एजेंसियों को इसके पुख्ता सबूत मिले हैं। कि इस पूरी हिंसा को तुर्की से संचालित किया जा रहा था।
मुर्शिदाबाद हिंसा के जरिए पूरे बंगाल में हिंसा फैलाने की योजना तुर्की में बनी थी, इसके जरिए बंगाल के हालात बांग्लादेश जैसे बनाने की कोशिश की गई थी।
हिंसा के लिए एक लिस्ट बनाई गई थी कि कौन कहां नुकसान पहुंचाएगा और लूटपाट करेगा। इसके साथ ही इनाम देने के लिए भी लिस्ट बनाई गई थी।
हिंसा के दौरान इस बात का खास ध्यान रखने के लिए अलर्ट किया गया था कि रेल और सामान्य परिवहन न चल पाए। मौका पड़ने पर हिंदुओं की हत्या करना भी टारगेट था।
मुर्शिदाबाद और मालदा के रास्तों के बगीचों में पत्थरबाजी और लोगों पर हमला करने की शुरुआती ट्रेनिंग दी गई थी। लोगों को फंसाने के लिए केले के पेड़ों का इस्तेमाल किया गया और इन केले के पेड़ों का इस्तेमाल लोगों पर हमला करने के तरीके दिखाने के लिए किया गया।
हमलावरों का चयन करते समय खास तौर पर युवा लोगों को चुना गया था ताकि वे मौके से भाग सकें। उनका चयन उनकी फिटनेस और आक्रामकता के आधार पर किया गया था।
बंगाल में हुई हिंसा के दौरान बांग्लादेश से भारत में 71-150 कॉल की गईं। इस दौरान बंगाल में हुई हिंसा के बारे में पूरी जानकारी हासिल की गई। इस पूरी हिंसा के दौरान कुछ एनजीओ पुलिस की रडार पर आ गए हैं, क्योंकि उनकी गतिविधियां और लेन-देन संदिग्ध थे। मुंबई हमले की तरह ही सभी हमलों की निगरानी टीवी पर लाइव कवरेज के जरिए की गई। अंसुरल बांग्ला की टीम पश्चिम बंगाल और बिहार में कट्टरपंथी अल्पसंख्यक समूहों के संपर्क में थी।