होम / Himalaya: बढ़ती गर्मी का ताप हिमालय के लिए श्राप, भविष्य में सूख सकता है 90 फिसदी हिस्सा

Himalaya: बढ़ती गर्मी का ताप हिमालय के लिए श्राप, भविष्य में सूख सकता है 90 फिसदी हिस्सा

Rajesh kumar • LAST UPDATED : February 29, 2024, 9:15 am IST

India News (इंडिया न्यूज),Himalaya: मानवीय गतिविधियों के कारण दुनिया का तापमान लगातार बढ़ रहा है। 2023 इतिहास का दूसरा सबसे गर्म साल था। विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की बात नहीं, वर्तमान बन चुका है। यह मानव जाति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। इसका खामियाजा ‘तीसरे ध्रुव’ के नाम से मशहूर हिमालय को भुगतना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में हिमालय के हजारों ग्लेशियर पिघल चुके हैं और हालिया शोध भी इसकी पुष्टि करते हैं। नए शोध के मुताबिक, हिमालय गर्म हो रहा है, अगर ग्लोबल वार्मिंग 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाती है, तो हिमालय क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा एक साल तक सूखा रहेगा।

भारत गर्मी से होने वाले नुकसान को कैसे कर सकता है कम?

यह रिपोर्ट क्लाइमैटिक चेंज नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है। ब्रिटेन में ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस टीम का नेतृत्व किया है। आठ अध्ययनों को एकत्रित करने के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सूखा, बाढ़, फसल की पैदावार में गिरावट ग्लोबल वार्मिंग के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। ये आठ अध्ययन भारत, ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया और घाना पर केंद्रित थे। इसके मुताबिक, भारत बढ़ती गर्मी से होने वाले 80 फीसदी नुकसान से बच सकता है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब भारत पेरिस समझौते को सही तरीके से अपनाएगा। पेरिस समझौता क्या है? दरअसल, यह समझौता वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों की बात करता है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके।

रिपोर्ट में हुआ यह खुलासा

इस रिपोर्ट में पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से आधी जैव विविधता को बचाने में मदद मिल सकती है। जबकि अगर इसे 3 डिग्री पर रखने की कोशिश की जाए तो सिर्फ 6 फीसदी ही बचाया जा सकता है। टीम के मुताबिक तापमान में 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी के कारण कृषि भूमि पर सूखे की मार ज्यादा पड़ती है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हर देश की 50 फीसदी से ज्यादा कृषि भूमि को एक साल से लेकर 30 साल तक भयंकर सूखे का सामना करना पड़ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से कृषि भूमि पर सूखे का खतरा 21 प्रतिशत (भारत) और 61 प्रतिशत (इथियोपिया) के बीच कम हो जाएगा।

शोधकर्ताओं ने दी यह चेतावनी

साथ ही नदी से आने वाली बाढ़ से होने वाला आर्थिक नुकसान भी कम होगा। ऐसा तब होता है जब नदियाँ और झरने अपने किनारों को तोड़ देते हैं और पानी आस-पास के निचले इलाकों में बहने लगता है। भीषण सूखे से इंसानों को होने वाले खतरे को भी 20-80 फीसदी तक कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर जो नीतियां चल रही हैं, उनके परिणामस्वरूप 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।

यह भी पढ़ेंः-

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Indigo Flight: इंडिगो की फ्लाइट बना लोकल बस! ओवरबुक हुई यात्री तो वापस लौटा विमान
केरल हाईकोर्ट से KPCC प्रमुख सुधाकरन को मिली न्याय, लगा था यह आरोप
Ishq Vishk Rebound का पहला टाइटल ट्रैक हुआ रिलीज, पार्टी एंथम पर जमकर थिरकते दिखे पश्मीना-रोहित-जिबरान-नायला -Indianews
Pre-Diabetes: शरीर में दिख रहे हैं ये लक्षण तो हो जाएं सावधान! हो सकता है डायबिटीज-Indianews
दुनिया में बढ़ते तापमान से परेशान 91 फिसदी भारतीय, सर्वे में खुलासा
PM MODI: प्रशांत किशोर ने की बीजेपी को 300 सीटें मिलने की भविष्यवाणी, कहा-पीएम के खिलाफ कोई गुस्सा नहीं-Indianews
बेटी समारा का सोशल मीडिया अकाउंट बंद करवाना चाहती हैं रिद्धिमा, Ranbir Kapoor की बहन ने बताई यह बड़ी वजह -Indianews
ADVERTISEMENT