इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (A Member Of The Space Commission) : अंतरिक्ष आयोग के एक सदस्य ने अहम खुलासा करते हुए बताया कि नए एसएसएलवी रॉकेट की लॉचिंग जल्द की जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रविवार सुबह 9.18 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएसएलवी-डी1 को लॉन्च किया।
जो असफल हो गया। हालांकि रॉकेट सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया। लेकिन इसके बाद रॉकेट अलग हो गया। जिससे सैटेलाइट्स से डेटा का मिलना बंद हो गया। देश के वैज्ञानिक इस असफलता की जांच करेंगे।
इसरो करेगा फिर से प्रयास
अंतरिक्ष आयोग के एक सदस्य एएस किरण कुमार ने बताया कि स्पेस एजेंसी जल्द ही एक नया प्रयास शुरू करेगा। इस रॉकेट की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसके 75 पेलोड देश भर के 75 ग्रामीण सरकारी स्कूलों के 750 छात्र-छात्राओं ने बनाए हैं। लॉन्च के समय डिजाइन करने वाली लड़कियां भी श्रीहरिकोटा में मौजूद रहीं। कलारी-इंडियन स्पेस एसोसिएशन नेटवर्किंग मीट से इतर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम आखिर में कुछ ही अंतर से चूक गए हैं। जिससे उनका यह मिशन असफल हो गया।
रॉकेट ने किया बेहतर प्रदर्शन
रविवार को श्रीहरिकोटा में रॉकेट की लॉचिंग के समय उपस्थित कुमार ने बताया कि इसरो की इस नई रॉकेट ने सभी तीन चरणों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जो प्रमुख मकसद था उसमें यह खरा उतरा है। इसके बावजूद मिली असफलता की वजह से कुछ चीजों में बदलावों के साथ जल्द ही एक नई उड़ान के साथ अगला प्रयास फिर से किया जाएगा जैसे कि कौन से चीजें बदलनी है, इसे आॅपरेट किस तरीके से करना है, किस तरह के निर्णय लिए जाने हैं आदि हैं।
एसएसएलवी है खास
कुमार ने बताया कि एसएसएलवी खास है, क्योंकि सैटेलाइट्स अब छोटे होते जा रहे हैं और नई रॉकेट की मदद से भारत को छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्च करने में मदद मिलेगी। कुमार ने बताया कि एसएसएलवी -डी1 ने सभी चरणों में शानदार प्रदर्शन किया है। हम केवल आखिर में चूके हैं। एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को 350 किमी वृत्ताकार कक्षा में रखने के बजाय 350 किमी गुणा 70 किमी अण्डाकार कक्षा में रख दिया जिसके बाद यह उपग्रह उपयोग के योग्य नहीं रह गया हैं। यह छोटी सी चूक है लेकिन यह हमारे लिए बड़ी सबक है।
खामियों पर इसरो के वैज्ञानिक करेंगे काम
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि लिक्विड-प्रोपेल्ड वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल में दहन सेंसर की विफलता की वजह से नहीं हो पाया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि विशेषज्ञों की एक टीम इस पर विश्लेषण करेगी और भविष्य के लिए इसमें आई खामियों पर काम करेगी। ताकि इस तरह के दुबारा असफलता न मिल सकें।
एसएसएलवी ने पृथ्वी पर नजर रखने वाले 135 किलोग्राम वजनी उपग्रह (एडर-02) और छात्रों द्वारा बनाया गया आठ किलोग्राम वजनी उपग्रह -आजादीसैट को सर्कुलर आॅर्बिट के बजाय 35676 किलोमीटर के इलिप्टिकल आॅर्बिट में पहुंचा दिया। इसके बाद दोनों समुद्र में गिर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इस असफलता ने हमें एक नई ऊर्जा दी है। जो नए सिरे से सटीक तरीके से काम करने के लिए प्रेरित करेगी।
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