India News (इंडिया न्यूज़),A unique horse procession took place in Sangam city:संगम नगरी प्रयागराज में कर्ण घोड़े की बारात अपने शाही अंदाज में निकला । इस कर्ण घोड़े को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का दूत माना जाता है। जगमगाती रोशनी और बैंड बाजे के साथ प्रयाग में कर्ण घोड़े के जुलूस निकालने की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। तब से हर वर्ष दशहरे से पहले इसका जुलूस निकाला जाता है।
लोगों ने किया खूब मनोरंजन
इस खास अंदाज में निकले कर्ण घोड़े की शोभा यात्रा को अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस बार विशेष डीजे बैंड मंगाए गए थे। जिन्होंने शोभा यात्रा के दौरान लोगों का खूब मनोरंजन किया । शहर में कर्ण घोड़े की बारात निकलने के साथ ही नवरात्रि पर्व का शुभारम्भ भी हो जाता है।
चमेली बाई धर्मशाला से हुई बारात की शुरुआत
संगम नगरी प्रयागराज के अलग-अलग हिस्सों में कर्ण घोड़ा की बारात निकली। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस घोड़े की बारात की शुरुआत चमेली बाई धर्मशाला से हुई, जो मोहत्सिमगंज गली से सब्जी मंडी साउथ मलाक होते हुए रामबाग रामलीला परिसर पहुंची। जिसके बाद कर्ण घोड़ा कोठापार्चा, बहादुरगंज, ऊंचा मंडी, लोकनाथ, चौक, ठठेरी बाजार, घंटाघर होते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरी ।
नगाड़ो की धुनों पर भागड़ा करते चल रहे थे कलाकर
इस अनोखी बारात में सबसे आगे ढोल व नगाड़ो की धुनों पर भागड़ा करते कलाकर चल रहे थे। इसके ठीक पीछे पेशवाई लहराता ध्वज, श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी का बैनर और लहराती पताकाएं चल रही थीं। इसके बाद पाइप बैंड लोगों के सामने अपने सुरीले धुनों की प्रस्तुति करता चल रहा था।
विनाशक भगवान गणेश की कांस्य प्रतिमा को भी किया गया शामिल
यात्रा को रोचक बनाने के लिए इसमें विध्न विनाशक भगवान गणेश की कांस्य प्रतिमा को भी शामिल किया गया था। इसके बाद मयूर पर विराजमान कार्तिकेय की लुभावनी प्रतिमा, इसके बाद पवनपुत्र वीर हनुमान की सवारी चल रही थी। शोभा यात्रा के दौरान सुन्दर रथों पर विश्वमित्र, वशिष्ठ, राजा जनक, महाराज दशरथ की सवारी चल रही थी।
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