इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरलीमनोहर जोशी ने ‘आंदोलनजीवी’ पुस्तक का विमोचन करने के अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में आर्टिफिशियल समझ आधारित उद्योगों का विकास हो रहा है, लेकिन कृषि पीछे छूट रही है। उन्होंने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति से केवल देश ही नहीं, दुनिया के क़ई हिस्सों पर अस्तित्व का संकट मंडरा सकता है, इसलिए समय रहते हुए इसकी गंभीरता को समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सृष्टि के अस्तित्व में अन्न का महत्व समाहित है, इसलिए अन्न और अन्न उत्पादक किसानों का सम्मान किया जाना चाहिए।
डॉ. मुरलीमनोहर जोशी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भी इस बात स्थापित हो गई है कि केवल बड़े हथियार बना लेने और औद्योगिक विकास करके दुनिया की भूख नहीं मिटाई जा सकती। दुनिया को संचालित करने के लिए अन्न का कोई विकल्प नहीं हो सकता और इसलिए किसानों का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को सम्मान दिए बिना किसी देश की व्यवस्था सुदृढ नहीं रह सकती।
जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता केसी त्यागी ने कहा कि अपने पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन में उन्होंने स्वयं क़ई आंदोलन किए हैं, लिहाजा इस तरह के आंदोलनों का महत्व समझते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के कुछ पत्रकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के भी विरोध में आ गए हैं, लेकिन यह किसानों के लिए दुर्भाग्य का विषय है। उन्होंने कहा कि जब तक इस देश में आन्दोलनजीवी रहेंगे, तब तक देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा। आन्दोलन कम होने का एक अर्थ बदलाव की चिंता न होने जैसा है, इसलिए आंदोलन होते रहने चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि देश में हुए किसान आंदोलनों पर आन्दोलनजीवी एक बेहतरीन पुस्तक है। इसे परिपक्व अनुभव के साथ बेहद उत्साह के साथ लिखा गया है। पुस्तक के शीर्षक कारण क़ई बार आंदोलनों के क़ई महत्वपूर्ण बिंदुओं की अपेक्षित चर्चा से छूट जाने का खतरा रहता है, लेकिन इससे आंदोलनों के चित्रण पर कोई असर नहीं पड़ा है और यही पुस्तक की सफलता है। उन्होंने कहा कि देश के क़ई अन्य महत्वपूर्ण आंदोलनों पर भी विस्तार के साथ लिखा जाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पुस्तक के विमोचन के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश ने आज़ादी से लेकर अब तक क़ई बड़े आंदोलन देखे हैं, लेकिन इसके बाद भी देश के किसानों की समस्याओं का अंत नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि क़ई आंदोलनों के नाम पर कुछ लोग अपना लाभ उठाने की कोशिश करते आये हैं, आन्दोलनजीवी जैसी पुस्तकों में इन लोगों के बारे में भी लिखा जाना चाहिए।
देश के क़ई प्रमुख आंदोलनों में अहम भूमिका निभा चुके डॉ. सत्येंद्र ने कहा कि किसानों की समस्याएं और शिकायतें अलग-अलग हैं। इनकी सही पहचान कर उपचार किया जाना चाहिए। वहीं, रण सिंह आर्य ने कहा कि उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हुए किसान आंदोलनों में भूमिका निभाई और इसका एक सकारात्मक अनुभव रहा।
स्वागत उद्बोधन में ‘आंदोलनजीवी’ पुस्तक के लेखक विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि यह पुस्तक देश में किसानों के आंदोलन की एक लंबी यात्रा का वृत्तांत प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक किसानों के उन संघर्षों के प्रति समर्पित है जो देश की आज़ादी के बाद से अब तक हुई है। इसमें सबसे हाल ही में हुए किसान आंदोलन की कहानी भी शामिल हैं। उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का श्रेय पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकारों और अपनी धर्मपत्नी अंजू पांडेय अग्निहोत्री को दिया।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कार्यक्रम में आये लोगों के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। कार्यक्रम में वरुण गांधी, आलोक मेहता, अक्कू श्रीवास्तव, आशुतोष, डॉ. सत्येंद्र, रण सिंह आर्य, चौधरी पुष्पेंद्र सिंह, जगदीश ममगाईं और अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
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