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Adani-Hindenburg Case: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, हिंडनबर्ग पर अडाणी के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग करने का है आरोप

Gaurav Kumar • LAST UPDATED : February 10, 2023, 2:34 pm IST

नई दिल्ली (Adani-Hindenburg Case: Hindenburg Research short sells Adani shares causing huge investor losses) : चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी जिसमें चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पादरीवाला शामिल हैं।

अडाणी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। आज इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई होनी है।एडवोकेट एमएल शर्मा और विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में अडाणी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं (PIL) दायर कि हैं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी के शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे ‘निवेशकों को भारी नुकसान’ हुआ है और साथ ही साथ भारत की छवि भी धूमिल हई है। इन याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में जांच करने की मांग भी उठाई गयी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सहित तीन जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस के अलावा इस बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पादरीवाला शामिल हैं।

क्या होती है शॉर्ट सेलिंग ?

सामान्य तौर पर शेयर बाजार में लोग शेयरों को कम दाम में खरीदते हैं और जब उन शेयरों का प्राइस बढ़ता है तब उसे ज्यादा दामों में बेचकर पैसे कमाते हैं जिसे हम बुलिश मार्केट या लॉन्ग पोजिशन भी बोलते हैं जहां लोग शेयर के प्राइस में बढ़ोतरी का अनुमान लगाते हैं। शॉर्ट सेलिंग, लॉन्ग पोजीशन ठीक उलटा होता है, यह एक निवेश की रणनीति है जिसका  उद्देश्य कम में खरीदना और ऊंचे दामों पर बेचना है। इसमें ट्रेडर उन शेयरों को बेचते हैं जो उनके पास नहीं होते हैं इसलिए वे इन शेयरों को अपने ब्रोकर या डीलर से उधार लेते हैं और इसे प्रचलित बाजार दर पर बेचते हैं और कीमतों के गिरने की प्रतीक्षा करते हैं। आखिरकार, ट्रेडर को उन शेयरों को वापस खरीदने की ज़रूरत होती है जिन्हें उन्होंने शॉर्ट में बेचा था। सरल भाषा में मार्केट दामों में बेचकर तब खरीदना जब शेयरों के दाम गिर जाएं।

क्या है अडाणी हिंडनबर्ग मामला ?

हिंडनबर्ग एक रिसर्च फर्म है जिसने भारत के उद्योगपति गौतम अडाणी के ग्रुप पर 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे गंभीर  आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर पांच आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने पहला आरोप लगाया कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों ने अपने शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट कर बढ़ाया है, दूसरे आरोप में रिसर्च ने कहा अडाणी ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग और अकाउंटिंग फ्रॉड किया है। उन्होंने पिछले 8 सालों के दौरान 5 मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) को बदला है। रिसर्च में हिंडनबर्ग ने तीसरे आरोप में कहा कि अडाणी ग्रुप की 7 कंपनियों के शेयर की कीमत 85% तक ज्यादा यानी स्काय रॉकेट वैल्यूएशन के साथ बढ़े हैं। चौथे आरोप में कंपनी ने कहा कि अडाणी ग्रुप पर 2.20 लाख करोड़ का कर्जी है जो उसकी कंपनियों की हैसियत से ज्यादा है। पांचवे और आखिरी आरोप में हिंडनबर्ग ने कहा कि ग्रुप ने मॉरीशस और दूसरे देश की कंपनियों में पैसे भेजे और उन कंपनियों ने अडाणी के शेयर खरीदे।

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