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AFSPA protest in Nagaland नागालैंड समेत पूर्वी 4 राज्यों में अफस्पा 30 जून 2022 तक लागू

AFSPA protest in Nagaland नागालैंड समेत पूर्वी 4 राज्यों में अफस्पा 30 जून 2022 तक लागू

इंडिया न्यूज़, कोहिमा :

भारत के पूर्वी राज्य नागालैंड असम, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा जून 2022 तक लगा दिया है। यह कानून 31 दिसंबर 2021 को समाप्त हो रहा था। लेकिन गृह मंत्रालय ने इसे अब 30 जून 2022 तक के लिए लागू कर दिया है। ऐसा केंद्र सरकार ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। वैसे तो यह कम से कम तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाता है। लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने इसे सीधे छह माह के लिए आगे बढ़ा दिया है।

नगालैंड समेत पूर्वी 4 राज्यों में अफस्पा 30 जून 2022 तक लागू

क्यों लगाया जाता है अफस्पा  Why is AFSPA imposed?

मान लो कि अगर किसी राज्य में अशांति हो  या फिर आतंकवाद प्रभावित हो इसके अलावा किन्हीं कारणों के चलते प्रभावित राज्य की पुलिस व अर्द्धसैनिक बल शांति व स्थिरता बनाए रखने में अअसमर्थ हो रहे हों तो उस उस राज्य या क्षेत्र को अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम, 1976 के मुताबिक अशांत घोषित कर वहां असफ्पा लगा कर शांति बहाल करने पर काम किया जाता है।

सुरक्षाबलों को मिलते हैं विशेषाधिकार Security forces get privileges

असफ्पा के तहत सुरक्षा बलों को आतंकवाद, या फिर बाहरी ताकतों से लड़ने की विशेष शक्तियां मिल जाती हैं। वहीं शस्त्रबलों को कई विशेषाधिकार मिल जाते हैं। जिसके चलते सुरक्षा एजेंसियों किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वॉरेंट के गिरफ्तार कर जांच करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। यही नहीं अगर किसी परिस्थिति में चेतावनी के बाद अगर संदिग्घ नहीं रूकता तो उस पर गोली चलाने का अधिकार भी सेना को होता है। अगर इस दौरान संदिग्ध की मौत भी हो जाती है तो सुरक्षाबलों पर कोई केस दर्ज नहीं होता। अगर फिर भी राज्य सरकार किसी तरह से सैनिकों पर मुकदमा दर्ज करती है तो उसके लिए भी अदालत में अभियोग के लिए के केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी आवश्यक होती है।

असफ्पा के तहत सुरक्षाबलों को अधिकार Rights to security forces under ASFPA

अशांत घोषित होने पर राज्य में या क्षेत्र में असफ्पा लगने की स्थिति में सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार मिल जाते हैं। असफ्पा के तहत ही सुरक्षाबल संदेहास्पद व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं, किसी भी घर की तलाशी ले सकते हैं। अगर किसी जगह सुरक्षाबलों को खतरा महसूस होता है तो उस स्थान को भी नष्ट करने का अधिकार सेना को होता है। कानून तोड़ने वालों पर गोली दागने का अधिकार होता है। किसी भी जगह  सुरक्षाबल वाहनों की तलाशी ले सकते हैं।

अब तक कहां और कब लगा असफ्पा Where and when did Asafpa take place till now?

भारत में सबसे पहले यह कानून साल 1958 में मणिपुर और असम में लगाया गया था। उसके बाद इसका प्रयोग नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और मेघालय में साल 1972 में किया गया था। यही नहीं जब पंजाब में साल 1983 में आतंकवाद चर्म पर था उस समय भी इसी कानून का सहारा लिया गया था और यह चंडीगढ़ में भी लागू था। इसके बाद वर्ष 1990 असफ्पा का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में किया जा चुका है।

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Rakesh Banwal

Sub Editor: @ India news Broadcasting Pvt Ltd. मंजिल की राह में कामयाबी धुंधली नजर आए तो, रास्ता बदलो इरादा नहीं

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