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Agriculture Laws Repealed : आखिर क्यों हुआ संघर्ष, क्या हैं यह तीनों कानून, तब मोदी ने क्या बोला?

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :

Agriculture Laws Repealed पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर सटे संघर्षरत किसानों को क्या पता था कि केंद्र सरकार एक साल के नजदीक पहुंचने पर उनको बड़ी राहत दे देगी। प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने संसद से पास कराए गए तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय किया है। इसके साथ प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा कर दी है कि आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में तीनों विवादित कानूनों को वापस लेने पर काम भी शुरु हो जाएगा।

आपको बात दें कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से आए किसान पिछले 2020 के नवंबर माह से खेती से जुड़े तीनों नए कानूनों के खिलाफ लगातार दिल्ली से सटी सीमाओं यूपी-हरियाणा में विरोध प्रदर्शन कर रहे है। हालांकि कृषि कानून की वापसी की घोषणा होते ही शायद संघर्षरत किसान वापस इन सीमाओं को खाली कर अपने-अपने घर लौट जाएं। लेकिन हमको इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि इतनी भारी संख्या में आए आंदोलनरत किसान आखिर क्यों अपने फायदे वाले तीन नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं? वह कौन से कानून हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने अब वापस ले लिये हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कानून रद्द करने से पहले वह इस पर क्या बोलते थे। यह भी जानए? (Agriculture Laws Repealed)

जिन तीन नए कृषि कानूनों को लेकर विगत एक साल में रह रहे कर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों व पुलिस प्रशासन के साथ लगातार टकराव होता रहा। आखिर वह कौन से तीन नए कानून हैं, जो केंद्र सरकार ने 2020 के मानसून सत्र में देश की संसद से पारित करा कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्ताक्षर होने के बाद इसे देश में लागू कर दिया गया। पहला- कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून, 2020। दूसरा- कृषक (सशक्‍तीकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार क़ानून, 2020 है जबकि तीसरा- आवश्यक वस्तु (संशोधन) क़ानून 2020 है। इन कानूनों को लेकर केंद्र सरकार व विक्षीय दलों के अपने-अपने तर्क हैं। (Agriculture Laws Repealed)

कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून, 2020 (Agriculture Laws Repealed)

मोदी सरकार का तर्क

  • केंद्र सरकार कहती है कि इस कानून के लागू होने के बाद से किसानों तथा व्यापारियों को अपने प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में स्थापित एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) की रजिस्टर्ड मंडियों में अपनी फसल बचने की आजादी होगी,जोकि इस कानून के बनाने से पहले नहीं थी।
  • किसानों को फसल अपनी को अपने राज्य से दूसरे राज्य में बिना अड़चन के साथ क्रय करने में बढ़ावा के साथ फायदा भी मिलेगा।
  • इस कानून में किसानों को उसकी फसल के अच्छे दाम मिल सके इसको लेकर मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टेशन पर खर्च कम करने पर जोर दिया गया है।
  • इसके अलावा इलेक्ट्रोनिक व्यापार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा मुहैया देने की बात कही गई है।

विपक्ष का तर्क

  • विपक्षीय दलों के नेताओं का तर्क है कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद से राज्यों को राजस्व का काफी नुकसान होगा।
  • किसान अपनी फसल एपीएमसी मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडी फीस नहीं मिल पाएगी।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलें बिकना बंद हो जाएगी।

कृषक (सशक्‍तीकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार क़ानून, 2020 (Agriculture Laws Repealed)

मोदी सरकार का तर्क

  • इस कानून में कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग को उल्लिखित है। इसके लिए एक राष्ट्रीय फ्ऱेमवर्क बनाने का प्रावधान किया गया है
  • इसमें किसान कृषि व्यापार करने वाले लोगों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय दाम पर भविष्य में अपनी फसलों को बेच सकते हैं।
  • पांच हेक्टेयर से कम जोत वाले छोटे किसान इससे लाभ कमा पाएंगे।
  • अनुबंधित किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ तकनीकी सहायता, फसल स्वास्थ्य की निगरानी के साथ-साथ ऋण की सुविधा व फसल बीमा की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
  • वहीं किसान मध्यस्थ को किनारे रखते हुए अपनी फसल का पूरा दाम लेने प्राप्त होने के लिए सीधे बाजार का रुख कर सकता है।
  • किसान के साथ विवाद होने पर तय समय में तत्रं स्थापित करना का भी प्रावधान है।

विपक्ष का तर्क

  • इस कानून के लागू होने जाने के बाद से कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के समय किसान व विक्रता की बीच खरीद फरोख्त के मामले में चर्चा सही नहीं होगी।
  • देश के छोटे किसानों की ज्यादा संख्या होने से प्रायोजक ठीक से सौदा करना ना पंसद करे।
  • किसी विवाद की स्थिति में एक बड़ी निजी कंपनी, निर्यातक, थोक व्यापारी को लाभ होगा ना कि किसान को।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 (Agriculture Laws Repealed)

मोदी सरकार का तर्क

  • इसके लागू हो जाने के बाद से अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज़ और आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है। सरकार देश में असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर अन्य परिस्थितियों में जितना चाहे भंडारण कर सकती है।
  • इसमें निजी सेक्टर का कृषि क्षेत्र में डर कम होगा। इसके अलावा कृषि इन्फ़्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ेगा, कोल्ड स्टोरेज व फूड स्प्लाई चेन का आधुनिकीकरण होगा।

विपक्ष का तर्क

  • असाधारण परिस्थितियों के समय देश में कीमतों में जबरदस्त इजाफा होने की संभावना बनी रहेगी।
  • दिग्गज कंपनियां किसी फसल को अधिक भंडार कर सकती है।
  • इस पर किसान कंपनियों के साथ दाम सही तय नहीं कर सकेंगे।

कानून रद्द करने से पहले प्रधानमंत्री क्या बोलते थे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों नए कृषि कानून को शुक्रवार (आज) को अपने देश के नाम संबोधन में रद्द कर किया है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी इस कानून को रद्द करने से पहले खुद इससे देश के किसानों की एक नई आजादी देने वाला कानून बताया था और उन्होंने विपक्षीय पार्टियों पर आरोप भी लगाया था कि इन दलों के हमारे प्यारे किसानों के बरगाल रहे हैं और इन कानूनों को लेकर जनता के बीच दुष्प्रचार कर रहे हैं कि किसानों को एमएसपी नहीं मिलेगी।

यहां तक प्रधानमंत्री मोदी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनावी सभा में कांग्रेस पार्टी पर कड़ा प्रहार करते हुए यह तक कह दिया था कि जो लोग दशकों तक देश में शासन किया। अब वही लोग देश के किसानों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए लाना जरूरी था।

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Sameer Saini

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