India News (इंडिया न्यूज), Ajit Pawar Political Career: 5 दिसंबर को महारष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने के साथ ही डिप्टी सीएम के तौर पर अजित पवार ने छठी बार शपथ ले ली है। एजेंट पावर ने बीते कुछ सालों में महाराष्ट्र की राजनीति ने कई महत्वपूर्ण बदलावों को देखा है। शरद पवार ने जिस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की स्थापना की थी, उस पार्टी के लिए भी के लिए यह समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा है, खासकर जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत की और भाजपा-शिंदे गुट से जुड़ गए। आइए, जानते हैं कि अब तक कैसा रहा अजित पवार का राजनीतिक सफर सफर औयर जीव।
22 जुलाई 1959 को अजित पवार का जन्म अहमदनगर जिले के देवलाली प्रवरा गांव में हुआ। वे शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। उनके पिता फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए थे और मुंबई के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजित पवार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा महाराष्ट्र के बारामती में स्थित महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी हाई स्कूल से प्राप्त की। हालांकि, जब वे कॉलेज में थे, उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और राजनीति की ओर रुख किया।
वो साल 1982 था जब अजित पवार ने राजनीति में कदम रखा और एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड के लिए चुनाव लड़ा। इसके अलावा उन्होंने सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया, जहां वे 16 साल तक कार्यरत रहे। उनकी कड़ी मेहनत और राजनीति में रुचि ने उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूत आधार प्रदान किया।
अजित पवार ने 1995 में पुणे जिले के बारामती विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा (MLA) के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, वे लगातार इस क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे। वो 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 और 2024 में चुनाव लड़ा और लगातार जीत हासिल की। अजित पवार ने महाराष्ट्र सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्री पद संभाले। उन्होंने कृषि, ऊर्जा और योजना राज्य मंत्री के रूप में काम किया। जब उनके चाचा शरद पवार मुख्यमंत्री बने, तो उन्हें भी मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया। इसके बाद, जब विलासराव देशमुख की सरकार बनी, तो उन्हें सिंचाई मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। वे 2003-2004 में सुशील कुमार शिंदे सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे।
अजित पवार का राजनीतिक करियर काफी दिलचस्प रहा, खासकर 2019 के बाद। उन्होंने 2019 में दो बार उपमुख्यमंत्री की शपथ ली। पहले वे देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री बने, लेकिन फडणवीस बहुमत साबित करने में नाकाम रहे। इसके बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनी और उन्हें एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद सौंपा गया। 2023 में अजित पवार ने फिर से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, और अब तक वे कुल पांच बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। और अब देवेंद्र फडणवीस के साथ वो छठी बार उपमुख्यमंत्री बने।
2023 में अजित पवार के राजनीतिक फैसले चर्चा का विषय बन गए थे। उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी छोड़ दी और भा.ज.पा.-शिंदे गुट में शामिल हो गए। इसके साथ ही, वे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गए और फिर से उपमुख्यमंत्री बने। यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ था, जिससे पार्टी के अंदर और राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। 2024 में महायुती को प्रचंड बहुत मिलने में उनकी भी अहम भूमिका शमिल रही। कुल मिलाकर अजित पवार का राजनीतिक सफर उन संघर्षों और फैसलों का गवाह रहा है, जिन्होंने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि उनकी खुद की राजनीतिक पहचान को भी मजबूत किया है।
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