India News(इंडिया न्यूज), Amritpal Singh: पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह चुनाव में जीते हैं। आपको बता दें कि ये बाकी सांसदों की तरह चुनाव नहीं जीते हैं। इन्हें खालिस्तानियों को सपोर्ट करने के जुल्म में जेल के अंदर डाला गया। इनके ऊपर चार मामले दर्ज किए गए हैं। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि अमृतपाल सिंह कौन हैं? इनके ऊपर कौन-कौन से मामले दर्ज हैं।
वारिस पंजाब डे के प्रमुख अमृतपाल सिंह का जन्म साल 1993 में गांव जल्लुपुर खेड़ा, जिला अमृतसर में हुआ था। वह तरसेम सिंह के बेटे हैं। अमृतपाल साल 2012 में 19 साल की उम्र में काम करने के लिए पंजाब से दुबई गए थे। वह 10 साल यानी 2022 तक दुबई में रहे। इस दौरान उनके सिर पर न तो बाल थे और न ही चेहरे पर दाढ़ी। अमृतपाल सिंह के चाचा का दुबई में ट्रांसपोर्ट का कारोबार था। किसान आंदोलन के दौरान दीप सिद्धू के साथ दिल्ली बॉर्डर पर आया अमृतपाल अगस्त 2022 में दुबई से भारत आया था।
उसने सितंबर 2022 में फिर से बाल बढ़ाने और पगड़ी बांधने का काम शुरू किया और मोगा के गांव रोडे में एक बड़ा पगड़ी बांधने का कार्यक्रम आयोजित किया और दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का प्रधान बन गया। इतना ही नहीं अमृतपाल ने पंजाब में धार्मिक यात्राएं शुरू कीं। युवाओं को अमृत देना शुरू किया और खालिस्तान के नाम पर ग्रामीण युवाओं को जोड़ना शुरू किया।
15 फरवरी 2023 को फेसबुक पोस्ट को लेकर अमृतपाल सिंह का वरिंदर सिंह से झगड़ा हुआ। 16 फरवरी 2023 को अजनाला में एफआईआर दर्ज हुई। अमृतपाल और उसके साथियों पर वरिंदर सिंह का अपहरण कर उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगा। 16 फरवरी को अमृतपाल ने अजनाला थाने का घेराव करने का अल्टीमेटम दिया। 17 फरवरी को अमृतपाल के साथी लवप्रीत उर्फ तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 18 मार्च का घेराव प्रदर्शन इसलिए स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि लोग थाने का घेराव करने नहीं आ रहे थे।
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इसके बाद 19 फरवरी को मोगा में दीप सिद्धू की बरसी के कार्यक्रम में अमृतपाल पहुंचा और मंच से खालिस्तान का समर्थन किया। उसने देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और मारपीट मामले में 23 फरवरी को अजनाला थाने का घेराव करने का आह्वान किया। 23 फरवरी की दोपहर अमृतपाल भीड़ लेकर अजनाला थाने के बाहर पहुंच गया।
पुलिस बैरिकेडिंग के पास अमृतपाल के साथ आई भीड़ हिंसक हो गई और पुलिस से झड़प के बाद भीड़ ने थाने पर कब्जा कर लिया। इसमें एसपी रैंक के एक अधिकारी समेत 6 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। दरअसल पुलिस ने सख्त कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि अमृतपाल के पास श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी थी। अमृतपाल और उसके समर्थक पांच घंटे तक थाने में रहे। पुलिस ने अमृतपाल के साथी लवप्रीत तूफान को 24 घंटे में छोड़ने का वादा किया, तब जाकर देर शाम अमृतपाल और भीड़ ने थाना खाली किया। 24 फरवरी को पुलिस ने लवप्रीत तूफान को अमृतसर जेल से रिहा किया, अमृतपाल ने लवप्रीत के साथ स्वर्ण मंदिर तक जुलूस निकाला।
अमृतपाल सिंह के खिलाफ अब तक 4 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें अजनाला में वरिंदर सिंह का अपहरण कर मारपीट करने, 15 फरवरी को अमृतसर में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सीएम के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने, 19 फरवरी को मोगा में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने, अजनाला में हिंसा करने और थाने पर कब्जा करने के लिए पुलिसकर्मियों को घायल करने के आरोप शामिल हैं।
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अमृतपाल सिंह के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अजनाला हिंसा के बाद आज तक पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ दर्ज इन मामलों को सार्वजनिक नहीं होने दिया, क्योंकि अमृतपाल ने 23 फरवरी को डीजीपी को खुली चुनौती दी थी कि अगर दोबारा कोई मामला दर्ज हुआ तो वह फिर से विरोध करने आएगा और इसके परिणामों की जिम्मेदार पुलिस होगी। पुलिस इन मामलों को दबाकर अमृतपाल पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है।
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