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Assembly Elections 2023: फिर चला मोदी मैजिक, नमो की आंधी में उड़ा विपक्ष

India News (इंडिया न्यूज़), Assembly Elections 2023: आज (3 दिसंबर) को देश के चार राज्यों में मतगणना जारी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में इससे पहले विधानसभा चुनाव खत्म हुए। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इन राज्यों के विधानसभा चुनाव सभी पार्टियों के लिए सेमीफाइल मुकाबले की तरह ही समझीए। इस चुनावी दंगल में हर पार्टी अपनी जीत का दावा कर रही है। बात करें बीजेपी की तो पूरी पार्टी केवल एक चेहरे के दम पर अपना जीत का दम भरती हुई नजर आ रही  है, वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी किसी और के चेहरे पर रिस्क लेने से बेहतर पीएम मोदी का चेहरा ही आगे कर रही है। उनका चेहरा कैसे कई राज्यों के नजीतों पर असर डाल सकता है। इसके पीछे की क्या वजह है उस सियासी गणीत को समझते हैं।

आगे बढ़ने से पहले जान लें कि  इससे पहले चुनाव आयोग ने मिजोरम विधानसभा चुनाव की मतगणना के लिए भी 3 दिसंबर की तारीख तय की थी।  लेकिन शुक्रवार (1 दिसंबर) को चुनाव आयोग ने इसे संशोधित कर दिया। चुनाव आयोग ने बताया कि अब मिजोरम के चुनाव की मतगणना 4 दिसंबर को होगी। इसके पीछे चुनाव आयोग का कहना है रविवार के दिन ईसाई-बहुल राज्य मिजोरम के लोगों के लिए विशेष महत्व को देखते हुए विभिन्न हलकों के अनुरोध के बाद ये फैसला लिया गया।

मोदी नाम करेगा काम!

जहां एक ओर मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश न करने और मोदी को प्रचार का चेहरा बनाने का कदम शायद भाजपा के लिए काम कर गया। ये ट्रिक बीजेपी केवल एक राज्य में नहीं बल्कि हर राज्य में आजमा रही है। “मोदी लहर” रुझानों को देख लग रहा विपक्ष की नैया डुबा कर दम लेगी। मोदी नाम पार्टी के लिए “थकान” भगाने वाली कारक साबित हो रही है। जबकि विपक्ष की थकान बढ़ाने वाली है। उनका केवल नाम ही एक दशक से अधिक समय से पार्टी के लिए जीत का आधार बनी हुई है।

इसी कड़ी में कई लोग कहते हुए नजर आ रहे हैं कि, ”शिवराज नहीं, मोदी भाजपा का चेहरा हैं।” इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अधिकांश लोगों को यह भी नहीं पता कि स्थानीय उम्मीदवार कौन है। कई लोग केवल मोदी के लिए पार्टी को वोट देते हैं।

MP में  मामा नहीं मोदी..मोदी

चुनाव से पहले से ही बीजेपी ने अपने राज्य के ना तो मुख्यमंत्री के दावेदार के बारे में खुलकर बात की और ना ही मामा के बारे में। पार्टी की ओर से हर मंच पर मोदी का ही नाम  लिया गया। बात करें मतगणना से पहले एग्जिट पोल के आंकड़ों ने भाजपा का सीना चौड़ा तो कर ही दिया था। अब जब आज रुझान आ रहे हैं तो बीजेपी गदगद हो रहा है तो वहीं किसी का जोश ठंडा पड़ रहा है।

इस राज्य में मौजूद मुख्यमंत्री होने के बावजूद बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में न तो शिवराज सिंह चौहान को अपना चेहरा बताया और न ही उसने राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया को सीएम चेहरा प्रोजेक्ट किया। जिसे लेकर पार्टी के कई बड़े नेता ने सवाल भी सवाल भी किए।  लेकिन हर बार एक ही जवाब आया कि कमल ही हमारा चुनाव चिन्ह और चेहरा है।

मोदी की लोकप्रियता का असर

चुनाव के बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल ने खबर एजेंसी को बताया था कि , ‘बीजेपी हर चुनाव कमल के चेहरे पर लड़ती है। हम कमल के साथ ही लोगों के बीच जाते हैं’। इसी के साथ ये भी भूला नहीं जा सकता है कि पीएम मोदी की लोकप्रियता किसी भी नेता से सबसे अधिक है। उनका भाषण सुनने के लिए भारी तादाद में लोग जुटते हैं। चुनाव में पीएम मोदी ने विपक्ष पर जिस तरह हमलावर रहे हैं  उससे मतदाताओं का रुझान बीजेपी की ओर जाना लाजमी है। पीएम मोदी का चेहरा और भाषण दोनों ही वोटर्स पर जोरदार असर डालता है।

‘मोदी की गारंटी’ का असर

अक्सर  प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैली हमेशा से ही बड़ा फैक्टर बनी है। उनकी रैली में एक विशाल सैलाब नजर आता है। उनके भाषण  ज्यादा ये मतदाताओं को बीजेपी की ओर खींचते है। इसकी वजह से ही  बीजेपी हर रैलियों में ‘मोदी की गारंटी’ का जिक्र कर हर घर तक पहुंचने की होर में रहती है।

लाल डायरी के मुद्दे और महंगाई

मोदी के भाषण भी लोगों को अपनी ओर खींचते हुए नजर आते हैं। राजस्थान में चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लाल डायरी के मुद्दे को महंगाई और बेरोजगारी से जोड़कर मतदाताओं को उस एंगल से सोचने पर मजबूर कर दिया है।अब इंतजार है तो नजीतो का जिसे लेकर बीजेपी जीत का दम भर रही है।

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