ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि वक्री होते हैं तो इन्हें बहुत ही पीड़ा होती है, जिस कारण शनि की शुभता में कमी आ जाती है शनि की चाल बहुत ही धीमी बतायी गई है पौराणिक कथा के अनुसार शनि के पैरों में चोट लगने के कारण उन्हें वक्री यानि उल्टी चाल चलने में बहुत तकलीफ होती है लेकिन 23 अक्टूबर 2022 के बाद से शनि मार्गी हो चुके हैं और अपनी ही राशि में गोचर कर रहे हैं।
शनि का यह परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है इसके बाद शनि का सबसे बड़ा परिवर्तन 2023 में देखने को मिलेगा पंचांग के अनुसार 17 जनवरी 2023 मार्गी रहेंगे और कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को दो राशियों का स्वामी होने का गौरव प्राप्त है शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने गए हैं खास बात ये है कि मकर राशि से निकलकर शनि अपनी ही राशि यानि कुंभ राशि में आ जाएगें।
शनि प्रदोष होने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा का भी उत्तम योग है पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव, भगवान शिव के परम भक्त हैं भगवान शिव ने ही शनि देव को नवग्रहों में न्यायाधीश की उपाधि प्रदान की है।
इस दिन शुभ संयोग बन रहा है, जिस कारण इस दिन का धार्मिक महत्व कई गुणा बढ़ जाता है, इस दिन देव उठनी एकादशी व्रत का पारण, तुलसी विवाह और शनि प्रदोष व्रत है।
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