India News (इंडिया न्यूज), Atul Subhash Last Words Before Death: बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली। एक निजी कंपनी में कार्यरत अतुल ने अपनी पत्नी पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए सुसाइड का कदम उठाया। आत्महत्या से पहले उन्होंने 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 90 मिनट का एक वीडियो छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के कड़वे अनुभवों और न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए।
अतुल सुभाष के निधन से उनके माता-पिता गहरे सदमे में हैं। उनके सुसाइड नोट में अपनी 12 अंतिम इच्छाएं लिखी गई थीं। इनमें से कुछ संदेश उनकी पत्नी और बेटे के लिए थे, जबकि कुछ उनके माता-पिता के लिए। उन्होंने अपने माता-पिता से औपचारिक रूप से इच्छामृत्यु की मांग करने की बात कही।
सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, “अगर उत्पीड़न और जबरन वसूली जारी रहती है, तो मेरे बूढ़े माता-पिता अदालत से औपचारिक रूप से इच्छामृत्यु की मांग करें। आइए, इस देश में पतियों और माता-पिता को औपचारिक रूप से खत्म कर दें।” इस बयान में उन्होंने न्यायिक प्रणाली पर तीखा प्रहार किया और इसे “न्यायपालिका के इतिहास में एक काला युग” कहा।
अतुल सुभाष उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने 2019 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर निकिता सिंघानिया से शादी की थी। इस शादी से उनका एक बेटा भी है। हालांकि, समय के साथ उनका वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो गया।
अतुल पर हत्या, दहेज उत्पीड़न, और अप्राकृतिक यौन संबंध जैसे आरोपों के तहत नौ मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने इन आरोपों को फर्जी बताते हुए कहा कि ये उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा हैं।
अतुल के भाई विकास कुमार की शिकायत पर पुलिस ने उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि तलाक के बाद इन लोगों ने अतुल पर झूठे मामले दर्ज कराए और समझौते के लिए 3 करोड़ रुपये की मांग की।
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शिकायत में यह भी बताया गया कि अतुल की पत्नी ने अपने बेटे से मिलने के लिए 30 लाख रुपये की मांग की थी। यह मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न अंततः उनकी आत्महत्या का कारण बना।
अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में न्यायिक प्रणाली की खामियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि “समय बदल गया है। अब कथाएं सिस्टम की ओर से नियंत्रित नहीं होंगी।” उनके इस बयान ने न्यायिक व्यवस्था और वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के अधिकारों को लेकर गहन बहस छेड़ दी है।
अतुल सुभाष के परिजन अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अतुल एक जिम्मेदार व्यक्ति थे, जिन्हें झूठे आरोपों और मानसिक उत्पीड़न ने इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने यह कठोर कदम उठाया। उनकी मौत ने वैवाहिक विवादों में न्यायिक प्रक्रिया और पुरुषों के अधिकारों पर गहरी चर्चा को जन्म दिया है।
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अतुल सुभाष की आत्महत्या न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि वैवाहिक विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं में संतुलन और निष्पक्षता कैसे लाई जाए। न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए यह समय है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाए।
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