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सरफराज के गोली मारने के बाद इस शख्स ने बचाई थी रामगोपाल की डेड बॉड़ी? वरना ये हाल करने वाला था ‘शैतान’, नए खुलासा पर मचा बवाल

India News (इंडिया न्यूज), Bahraich Communal Violence: उत्तर प्रदेश के बहराइच में 13 अक्टूबर को भड़की हिंसा में राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई। यह हत्या उस समय हुई जब राम गोपाल मिश्रा मां दुर्गा के विसर्जन जुलूस में शामिल हुए थे। दरअसल, आरोप है कि अब्दुल हमीद के घर में उनकी हत्या के बाद मुस्लिम भीड़ ने शव को घसीटकर घर के अंदर ले गई। वहीं वायरल वीडियो में कुछ लोग पत्थरों और गोलियों की बरसात के बीच राम गोपाल के शव को छत से नीचे उतारने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं राम गोपाल के शव को बाहर निकालने वाले युवक का नाम किशन मिश्रा है। किशन राम गोपाल का चचेरा भाई है। दोनों बचपन से ही साथ-साथ खेलते-कूदते और साथ-साथ पढ़ते-लिखते थे। शव को बाहर निकालने में किशन की मदद राजन मिश्रा ने की।

शव को बाहर निकालने वाले युवक ने खोला राज

राम गोपाल के शव को बाहर निकालने वाले किशन से ऑपइंडिया ने खास बातचीत की। इस दौरन किशन मिश्रा ने बताया कि पहले तो हंगामा हुआ और उसी समय पुलिस ने विसर्जन जुलूस पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज के बाद एकजुट हिंदू समुदाय तितर-बितर हो गया और मुस्लिम भीड़ ने राम गोपाल मिश्रा को घर के अंदर खींच लिया। जब किशन मिश्रा अपने चचेरे भाई को बचाने के लिए वापस लौटे तो उन्हें दो तरफ से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पहले मुस्लिम भीड़ जो गोलियां और पत्थर चला रही थी और दूसरी पुलिस बल जो लाठीचार्ज कर रहा था।

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पुलिस ने नहीं की मदद

दरअसल, किशन का दावा है कि वह कई बार पुलिस वालों से मदद मांगता रहा कि राम गोपाल को अंदर घसीटा जाए और उसे बाहर निकालने में मदद की जाए। इस अनुरोध पर कोई फर्क नहीं पड़ा। जब पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला तो खुद किशन मिश्रा ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर राम गोपाल को मुस्लिम भीड़ से बचाने का संकल्प लिया। इन दो साथियों में से एक किशन के परिवार का सदस्य राजन मिश्रा था। किशन का दावा है कि अगर पुलिस हिंदुओं पर बल प्रयोग करने के बजाय मदद करती तो राम गोपाल आज जिंदा होते।

पड़ोसी हिंदू का घर खुलवाकर अब्दुल की छत पर पहुंचे

किशन मिश्रा ने बातचीत के दौरान बताया कि राम गोपाल की हत्या अब्दुल हमीद की छत पर हुई थी। उनकी छत तक पहुंचना आसान नहीं था। रास्ते में लाठीचार्ज से भागती भीड़ थी। ऐसे में उन्होंने सड़क के बजाय छतों के रास्ते राम गोपाल तक पहुंचने का फैसला किया। अब्दुल हमीद के घर के पास एक हिंदू घर था। काफी मिन्नतों के बाद उसे खुलवाया गया। फिर उसकी छत से किशन और राजन दूसरी छत के रास्ते अब्दुल की छत पर पहुंचे। किशन ने बताया कि इतने छोटे रास्ते पर उन्हें और राजन को कई बार गोलियों और पत्थरों से खुद को बचाना पड़ा।

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लेकिन जब किशन अब्दुल हमीद की छत पर पहुंचे तो राम गोपाल वहां बेहोशी की हालत में पड़े थे। जैसे ही उन्होंने राजन मिश्रा के साथ मिलकर राम गोपाल के हाथ-पैर पकड़कर उन्हें उठाया, मुस्लिम भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले का नेतृत्व अब्दुल हमीद का बेटा सरफराज कर रहा था। दीवार के पीछे छिपकर उसने राजन और किशन के साथ मिलकर राम गोपाल के बेहोश शरीर को निशाना बनाया और उस पर गोली चला दी।

ईंट से गिराई सरफराज की बंदूक

रामगोपाल मिश्रा के चचेरे भाई किशन मिश्रा ने बताया कि सरफराज द्वारा चलाई गई, जिसके बाद पहली गोली निशाने पर नहीं लगी, वरना उसका शव भी राम गोपाल की तरह अब्दुल हमीद के घर में मिलता। पहली गोली लगने के बाद किशन और राजन ने राम गोपाल के बेहोश शरीर को नीचे रखा और छत से ईंट उठाकर सरफराज पर फेंकी। यह ईंट निशाने पर लगी और सरफराज की बंदूक नीचे गिर गई। जब तक सरफराज संभलता और दोबारा गोली चलाने के लिए तैयार होता, तब तक किशन और राजन मिलकर राम गोपाल को बाहर निकाल चुके थे। किशन मिश्रा के मुताबिक, सरफराज के साथ उसके पिता अब्दुल हमीद और भाई तालिब और फहीम भी हिंसा में पूरी तरह सक्रिय थे।

शव को गायब करना चाहते थे गायब

बता दें कि, अब्दुल हमीद और उसके गिरोह ने राम गोपाल के शव को गायब करने की साजिश रची थी। किशन ने कहा कि अगर वह और राजन अब्दुल हमीद के घर से राम गोपाल के बेहोश शव को बाहर नहीं लाते तो शायद यह मामला हत्या का नहीं बल्कि गुमशुदगी का होता। किशन के मुताबिक तब पुलिस भी यही दलील देती कि राम गोपाल की हत्या नहीं हुई बल्कि वह कहीं गायब हो गया है और सभी हत्यारे कानून की गिरफ्त से बच निकलते।

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किशन मिश्रा ने आगे बताया कि अब्दुल हमीद ही नहीं बल्कि महाराजगंज में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के सभी घरों में न सिर्फ धारदार हथियार बल्कि अवैध बंदूकों का भी जखीरा है। उन्हें लगता है कि राम गोपाल के शव को टुकड़ों में काटकर कहीं ठिकाने लगा दिया गया होगा। इसके बाद राम गोपाल दुनिया के लिए रहस्य बन जाता और यह घोषणा हो जाती कि हिंसा में उसका नाम आने के कारण वह कहीं भाग गया और वापस नहीं लौटा।

पैदल ही बेहोश शव को लेकर लोग भागते रहे

किशन का दावा है कि जब वह रामगोपाल के बेहोश शव को बाहर निकालकर बाहर आया। तब काफी मदद मांगने के बावजूद पुलिस ने उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं दिया। लाठियों से पीटा गया हिंदू श्रद्धालु रामगोपाल को लेकर अस्पताल की ओर काफी दूर तक सड़क पर भागता रहा। किसी तरह वह रामगोपाल को अस्पताल ले जाने में सफल रहा जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। किशन का मानना ​​है कि अगर पुलिस ने तुरंत उसके साथ कोई वाहन भेजा होता तो शायद रामगोपाल की जान बच सकती थी। किशन ने यह भी बताया कि उसने पुलिसकर्मियों की इन हरकतों की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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