India News (इंडिया न्यूज), Ban On Hizb ut Tahrir: भारत सरकार ने गुरुवार (10 अक्टूबर) को यरुशलम में साल 1953 में स्थापित वैश्विक इस्लामिक समूह हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया। दरअसल, इसका उद्देश्य जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए दुनिया भर में इस्लामिक राज्य और खिलाफत स्थापित करना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि एचयूटी मासूम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उन्हें आईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने और आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में शामिल है। एचयूटी विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म और सुरक्षित एप का इस्तेमाल कर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और दावत (आमंत्रण) बैठकें आयोजित कर मासूम युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है।

आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा

भारतीय गृह मंत्रालय ने कहा कि एचयूटी ऐसा संगठन है। जिसका उद्देश्य भारत समेत दुनिया भर में देश के नागरिकों को शामिल करके जिहाद और आतंकी गतिविधियों के जरिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर इस्लामिक राज्य और खिलाफत स्थापित करना है। इसलिए यह संगठन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। वहीं अधिसूचना में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 के तहत संगठन को प्रतिबंधित घोषित करते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार का मानना ​​है कि हुत भारत में आतंकवाद में शामिल रहा है और विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में भागीदार भी रहा है। यह प्रतिबंध एचयूटी, उसके सभी संगठनों और मुखौटा संगठनों पर प्रभावी होगा।

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एनआईए ने मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार

केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने मंगलवार (8 अक्टूबर) को ही भारत विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देकर असंतोष और अलगाववाद फैलाने से जुड़े तमिलनाडु एचयूटी मामले में एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया। एनआईए ने इस मामले में अब तक कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एनआईए ने आरोप लगाया था कि गिरफ्तार आरोपी अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा था और कश्मीर को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांग रहा था। गौरतलब है कि HUT का मुख्यालय लेबनान में है और यह ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित 30 से अधिक देशों में सक्रिय है। इसका इतिहास इजरायल और यहूदियों के खिलाफ हमलों की प्रशंसा और जश्न मनाने का रहा है। इसे जर्मनी, मिस्र, ब्रिटेन और कई पश्चिम एशियाई और अरब देशों सहित कई अन्य देशों में भी प्रतिबंधित किया गया है।

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