केंद्र के डॉक्यूमेंट्री बैन करने के इसी फैसले के खिलाफ राज्यसभा सांसद महुआ मोइत्रा, एन राम और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के साथ ही एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की दो जजों की पीठ सुनवाई करेगी।
केंद्र के बैन वाले फैसले को बताया मनमाना
वकील शर्मा ने अपनी इस याचिका में पीएम मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध के फैसले को असंवैधानिक और मनमाना बताया था। केंद्र ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन के साथ ही इसके लिंक शेयर करने वाले ट्वीट भी हटवा दिया था।
प्रतिबंध के बावजूद कई जगह हुई स्क्रीनिंग
केंद्र के प्रतिबंध के बावजूद कई जगहों पर इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई, जिस कारण दो पक्षों के बीच विवाद भी देखने को मिला। कांग्रेस समेत कई दूसरे दलों और उससे जुड़े संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री को पब्लिक प्लेस में चलाया। जेएनयू, जामिया और डीयू जैसे यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की हालांकि बीजेपी समर्थेकों ने इस स्क्रीनिंग पर भारी विरोध जताया था।
डॉक्यूमेंट्री पर विवाद आखिर क्यों?
आपको बता दें कि बीबीसी ने हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। जिसे दो पार्टों में बनाया गया। इस डॉक्यूमेंट्री का जब पहला पार्ट आया था। उसी समय यह विवादों में आ गया था। इस डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर कुछ सवाल उठाए गए थे। केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताते हुए इस पर बैन लगा दिया है।