India News (इंडिया न्यूज़), Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023: गृहमत्री अंमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 सदन में पेश किया। विधेयक के सदन में पेश करने के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने इसे भारतीय न्याय प्रणाली में अमुल-चुल परिवर्तिन बताया। वहीं भारतीय न्याय संहिता विधेयक को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस कानून का विरोध किया। गौरतलब है कि इस वक्त विधेयक को समीक्षा के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है।

कपिल सिब्बल ने क्या कहा…

राज्यसभा संसद कपिल सिब्बल ने कहा, “एक तरफ वे (भाजपा) कहते हैं कि हम औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करना चाहते हैं दूसरी तरफ वे ऐसे कानून ला रहे हैं, राजा महाराजा भी ऐसा कानून का इस्तेमाल नहीं करते थे। भय की राजनीति के आधार पर लोकतंत्र देश में नहीं चल सकता। वे कहते हैं (भारत) लोकतंत्र की जननी है, लेकिन मुझे लगता है कि तानाशाही की जनक है।”

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 के अंतरगत राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त किया जाएगा। वहीं इसकी जगह विधेयक में धारा 195 के तहत भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली ‘फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी’ फैलाने वालों को तीन साल तक की कैद की सजा देने का प्रावधान है।

अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों को बदला जाएगा- गृहमंत्री

इस विधेयक को सदन में पेश करने के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा था कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही। अगर ये कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा।”

ये बड़ें बदलाव किए जाएगें

  • राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त किया जाएगा।
  • नई सीआरपीसी में 356 धाराएं रहेंगी, वहीं इससे पहले उसमें कुल 511 धाराएं होआ करती थी।
  • अब किसी भी अपराधिक मामले में सबूत जूटाने के दौरान वीडियोग्राफी करनी अनिवार्य होगी।
  • वही अब 7 साल से अधिक सजा वाली धाराओं में फॉरेंसिक टीम का सबूत जुटाना अनिवार्य रहेगा। देश के किसी भी इलाके में हुए गुनाह की FIR अब किसी भी जगह दर्ज की जा सकेगी।
  • 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा। घटना के बाद मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा।
  • किसी भी मामले में 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दर्ज करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच खत्म करने का नियम रहेगा।
  • चार्ज फ्रेम होने के एक महीने के अंदक जज को अपना निर्णय सुनाना होगा।
  • वहीं सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के भीतर अनुमति देनी अनिवार्य रहेंगी।
  • घोषित अपराधियों की संपत्ति की खत्म की जाएगी। इसके अलावा संगठित अपराध में कठोर से कठोर सजा सुनाई जाएगी।
  • वहीं पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी।
  • 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान रखा जाएगा।

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