तंग हालातों में टीचर करता था जोमैटो डिलीवरी का काम, कुछ घंटों में लोगों ने रुपए जुटा दिलाई बाइक Bhilwara peoples are helping man who delivered food on cycle

ट्विटर पर रुपए कलेक्ट करके जोमैटो ब्वॉय को दिलवाई बाइक Bhilwara peoples are helping man who delivered food on cycle

इंडिया न्यूज, जयपुर:
Bhilwara peoples are helping man who delivered food on cycle कड़ी धूप में साइकिल से घर-घर घूमकर खाना पहुंचाने वाले जोमैटो के एक डिलीवरी ब्वॉय को देखकर ग्राहक का दिल ऐसा पसीजा कि उसने डिलीवरी ब्वॉय को बाइक देने की ठान ली। कहानी राजस्थान में सांवर (savar) के एमए पास दुर्गाशंकर मीणा (Zomato Boy Durgashankar Meena) नाम के एक टीचर की है।

Bhilwara peoples are helping man who delivered food on cycle: कोरोना काल में टीचर की नौकरी चली गई थी और तपती धूप में साइकिल से जोमैटो का आर्डर घर-घर पहुंचाने पर मजबूर हो गया था।

पैसे की किल्लत के चलते कई बार उसे रेस्टोरेंट या सड़क पर रात गुजारनी पड़ती थी। दुर्गा शंकर मीणा ने कहा कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण नौकरी छूट गई। इसके बाद सात माह पहले भीलवाड़ा आकर जोमैटो में लगे थे।

भीलवाड़ा के आदित्य ने ट्विटर पर मांगी थी लोगों से मदद

राजस्थान के भीलवाड़ा निवासी 18 वर्षीय आदित्य शर्मा  (Aditya Sharma) ने जोमैटो ब्वॉय (Zomato Boy) को बाइक दिलवाने के लिए ट्विटर पर क्राउड फंडिंग (Crowd Funding) कर लोगों से मदद मांगी थी। महज दो घंटे में क्राउड फंडिंग से 1.90 लाख रुपए इकट्ठे हो गए। इसके बाद ग्राहक ने डिलीवरी ब्वॉय को मंगलवार को सप्लेंडर बाइक दिलवाई। बाकी जो रुपए बचे वह डिलीवरी ब्वॉय को दे दिए ताकि वह अपना लोन भी चुका सके।

जानिए क्या कहते हैं आदित्य

आदित्य (aditya) ने बताया कि 11 अप्रैल को जोमेटो पर कोल्ड ड्रिंक का आर्डर दिया था। दोपहर 2 बजे कड़ी धूप में 40 डिग्री तापमान के बीच दुर्गा शंकर आर्डर लेकर आए। बात करने पर उनकी माली हालत का पता चला। आदित्य ने कहा कि दुर्गाशंकर जाने लगा तो उसका मोबाइल ले लिया। इसके बाद जैसे-तैसे जोमैटो से उसकी जानकारी जुटाई। आदित्य ने बताया कि सबसे पहले एक ट्वीट कर टिवटर पर दुर्गाशंकर की एक फोटो अपलोड कर उसकी हालत व काम की जानकारी दी। पहले बाइक दिलवाने के लिए 75 हजार रुपए मांगे। इसके बाद मदद के लिए कई लोगों के ट्वीट आए। और इस तरह ढाई घंटे में ही 1.90 लाख रुपए इकटठे हो गए।

लाकडाउन के चलते मार्च 2020 में छूट गई थी नौकरी

दुर्गा (durga) ने बताया कि वह 10वीं तक गांव में ही प्राइवेट स्कूल में पढ़े हैं। फिर उन्होंने 12 साल तक पांचवीं से दसवीं तक की क्लास को पढ़ाया। शुरुआत में 1200 रुपए वेतन मिलता था। बढ़कर 2020 में यह 10 हजार रुपए हो गया था। लेकिन लॉकडाउन में नौकरी चली गई। दुर्गा ने बताया कि एक साल तक उन्होंने सेविंग से काम चलाया। बीच में 40 हजार रुपए ा पर्सनल लोन भी लिया, पर रुपए खत्म होने लगे तो भीलवाड़ा आकर जोमैटो में नौकरी कर ली।

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Vir Singh

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