India News (इंडिया न्यूज़), Bhima Koregaon Case: सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े एल्गार परिषद केस में आरोपी वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा को को जमानत दे दी। 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा आरोपी गोंसाल्विस और फरेरा मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे। जमानत के दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन दोनों पांच साल से हिरासत में हैं। कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें विशेष अदालत तय करेगी। और इस दौरान इनका पासपोर्ट जब्त रहेगा और साथ ही दोनों NIA के अधिकारियों के संपर्क में बने रहेंगे।
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने निर्देश दिया कि गोंजाल्विस तथा फरेरा महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि दोनों कार्यकर्ता एक-एक मोबाइल का इस्तेमाल करेंगे।
बेल के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
बता दें की कोरेगांव हिंसा से जुड़े एल्गार परिषद केस में गोंसाल्विस और फरेरा मुंबई की तलोजा जेल में 2018 से बंद है। गोंसाल्विस और फरेरा पर गैरकानूनी गतिविधिया (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज है। दोनों की जमानत याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट ने खाऱिज कर दी थी। इसी के खिलाफ गोंसाल्विस और फरेरा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
ये था मामला
यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम से जुड़ा है। पुणे पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम के लिए धन माओवादियों ने दिया था। पुलिस का आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक में हिंसा की आग भड़की थी।
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