देश

सुपरटेक को बड़ा झटका, दो 40 मंजिला इमारतों को ढहाने के आदेश

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने कंपनी के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के अपैक्स एंड स्यान यावे-16 और 17 को अवैध ठहराते हुए इन्हें ढहाने के आदेश दिए हैं। दोनों इमारतें 40-40 मंजिला हैं। शीर्ष अदालत ने फ्लैट के खरीदारों को ब्याज सहित पैसे वापस करने का भी कंपनी को आदेश दिया है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा कि नोएडा के सेक्टर-93 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। उन्होंने कहा, सुपरटेक इन्हें अपनी लागत से  तीन महीने में तोड़े और इसी के साथ कंपनी दो महीने के भीतर 12 फीसदी ब्याज के साथ सभी फ्लैट मालिकों को रकम वापस करे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को चार महीने के भीतर दोनों इमारतों को ध्वस्त करने और फ्लैट खरीदारों को पैसे  लौटाने का आदेश दिया था। रियल स्टेट फर्म के अपील में जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को एक हरित क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक के दो आवासीय टावरों को मंजूरी देने और फिर सूचना के अधिकार को अवरुद्ध करने में ‘शक्ति के चौंकाने वाले इस्तेमाल’ के लिए नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए भवन योजना के बारे में फ्लैट खरीददारों के अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।  नोएडा प्राधिकरण ने बहुत देर से शिकायत करने के लिए घर खरीददारों को दोषी ठहराया था।
आरडब्ल्यूए को 2 करोड़ का भुगतान करे कंपनी
सुप्रीम कोर्ट ने रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को भी 2 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा है, जिसने अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया। कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी नगर निगम और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन में 40-मंजिला टावरों के अवैध निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बिल्डर के साथ मिलीभगत करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित 2009 की मंजूरी योजना अवैध थी क्योंकि इसने न्यूनतम दूरी मानदंड का उल्लंघन किया था और यह कि योजना को फ्लैट खरीदारों की सहमति के बिना भी मंजूरी नहीं दी जा सकती थी।
Prachi

Sub-Editor at India News, 9 years work experience in Aaj Samaj as a sub editor

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