India News (इंडिया न्यूज़), Bihar Caste Survey: बिहार सरकार ने जब से जातीय सर्वे के आंकड़े सोमवार को जारी किए हैं तब से देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिस पर आज यानि शुक्रवार (6 अक्टूबर) को सुनवाई होगी। बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से सर्वे के आंकड़ों को जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई गई थी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह साफ किया गया था कि विस्तृत सुनवाई के बाद ही इस पर रोक लगाने का आदेश दिया जाएगा।
बिहार सरकार ने जातीय सर्वे के आंकड़ों को सोमवार (2 अक्टूबर) को सबके सामने रखा है। बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में पिछड़े वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी है, जबकि अति पिछड़े वर्ग की संख्या 36.01 फीसदी है। राज्य की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 63 फीसदी है। बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है।
हिंदू बहुसंख्यक राज्य बिहार
जातीय सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि राज्य की आबादी में हिंदू धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं। जिसके तहत;
- बिहार में हिंदुओं की आबादी 81.99 फीसदी है।
- मुस्लिमों की तादाद 17.70 फीसदी।
- अनुसूचित जाति यानी दलितों की संख्या राज्य में कुल आबादी का 19.65 फीसदी है।
- करीब 22 लाख (1.68 फीसदी) लोग अनुसूचित जनजाति से हैं।
किस बात को SC में चुनौती
बता दें कि इस पर घमासान पहले से ही जारी है। बिहार सरकार ने पहले जातिगत सर्वे को जारी नहीं करने का फैसला लिया था। लेकिन आखिर है तो राजनीति यहां कुछ भी हो सकता है। चुनावी माहौल में इसे जारी करने का फैसला सरकार की ओर से किया गया। जिसे लेकर गैर-सरकारी संगठनों ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ और ‘एक सोच एक प्रयास’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि जातिगत सर्वे को जारी नहीं किया जाए। जान लें कि पहले भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी लेकिन कोर्ट ने उस समय कोई आदेश नहीं दिया था।
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