India News (इंडिया न्यूज़), Bihar Diwas 2024: बिहार दिवस, बिहार राज्य की स्थापना का प्रतीक है। इसी दिन बिहार और ओडिशा को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग राज्य बनाया गया था। इस साल बिहार दिवस का 112 साल है। बिहार दिवस के मौके पर पूरे राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित रहता है। इसका मतलब है कि आज सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, बैंक और अन्य सरकारी प्रतिष्ठान बंद रहते हैं। इसके मनाने के पीछे का उद्देश्य है कि लोगों को अपनी पहचान पर गर्व हो और अपने बिहार के इतिहास के बारे में जानें। इसलिए आज इस मौके पर आपको बतायें बिहार से जुड़े कुछ रोचक तथ्य….
बिहार फाउंडेशन के अनुसार, बिहार सरकार ने पहली बार 2010 में यह दिवस मनाया था। इसका उद्देश्य राज्य के गौरव को बहाल करना और राज्य के नागरिकों में बिहारी होने की भावना को उत्साहित करना था। पहली बार इसका आयोजन पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में किया गया था।
यह बिहार की समृद्ध विरासत, संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का एक अवसर है। राज्य सरकार और विभिन्न संगठन राष्ट्र के विकास में बिहार के नेताओं के योगदान पर प्रकाश डालते हैं। यह भारत के सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य में बिहार के योगदान की याद दिलाने का भी काम करता है। इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सेमिनारों, प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है जो राज्य की विविधता और प्रगति को प्रदर्शित करते हैं।
जयप्रकाश नारायण: बिहार की माटी ने कई प्रसिद्ध लोगों को जन्म दिया। जिन्होंने न केवल देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। इनमें सबसे पहले हैं जयप्रकाश नारायण जो जेपी के नाम से लोकप्रिय हैं। जयप्रकाश नारायण एक स्वतंत्रता सेनानी और बाद में एक राजनीतिक नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह बिहार की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने 1970 के दशक में “संपूर्ण क्रांति” आंदोलन का नेतृत्व किया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार से हैं। एक प्रसिद्ध न्यायविद्, विद्वान और राजनीतिक नेता, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और बाद में भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कर्पूरी ठाकुर: कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक और प्रसिद्ध व्यक्ति हैं, जो दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे – दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और फिर जून 1977 से अप्रैल 1979 तक। कर्पूरी ठाकुर को इस साल मरणोपरांत भारत रत्न से भी नवाजा गया है।
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