India News (इंडिया न्यूज), Bihar Special Status: जनता दल यूनाइटेड की कार्यकारिणी बैठक में केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी मांग रखी गई है। नीतीश कुमार की अगुवाई में हुई बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई है। बता दें कि यह बैठक नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुई। जेडीयू की इस बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे का लंबे समय से इंतजार है। राज्य के आर्थिक विकास के लिए यह बेहद जरूरी हो गया है।
हालांकि, इस बार नीतीश ने केंद्र के सामने थोड़ा नरम रुख अपनाया है और दो विकल्प रखे हैं। उन्होंने मोदी सरकार से कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन अगर विशेष दर्जा नहीं मिलता है तो विशेष पैकेज दिया जाए तो अच्छा रहेगा। राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है कि नीतीश ने केंद्र के सामने दो विकल्प क्यों रखे।
जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश ने राज्यसभा सांसद संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया। संजय झा ऐसे नेता हैं जिनकी पृष्ठभूमि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रही है जेडीयू में नंबर दो का नेता बनाकर नीतीश ने संकेत दे दिया है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी से कोई टकराव नहीं चाहते हैं। कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद संजय झा ने भी साफ कर दिया कि जेडीयू एनडीए में ही रहेगी।
दूसरी ओर जेडीयू लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है। 6 महीने पहले जब बिहार में नीतीश के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार थी, तब राज्य कैबिनेट ने विशेष दर्जे के प्रस्ताव को मंजूरी देकर केंद्र को भेजा था। हालांकि बाद में नीतीश महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापस आ गए। अब उन पर दबाव है कि वह इसी तरह का प्रस्ताव अपनी कैबिनेट से मंजूर कराकर केंद्र को भेजें। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी शनिवार को नीतीश से यह मांग की।
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को डर था कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर बीजेपी और जेडीयू में टकराव हो सकता है। इसे देखते हुए उन्होंने मोदी सरकार के सामने दो विकल्प रखे। अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं देना है तो केंद्र बिहार को विशेष पैकेज दे। यह मोदी सरकार के लिए भी आसान होगा जो कई मौकों पर विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर चुकी है। विशेष पैकेज मिलने पर जदयू भी खुलकर कह सकेगी कि उनकी मांग को केंद्र ने मान लिया है। साथ ही आगामी बिहार चुनाव में भाजपा और जदयू दोनों ही अपनी उपलब्धियों के बारे में जनता को बता सकेंगे।
लोकसभा चुनाव के दौरान पिछले महीने पटना आईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि अगर किसी राज्य को विशेष दर्जा देना है तो उसका सुझाव पहले केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट में आना चाहिए। इसके बाद ही केंद्र सरकार इस पर आगे विचार करेगी। अभी तक वित्त आयोग की तरफ से ऐसा कोई सुझाव नहीं आया है। उन्होंने यह भी कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। माना जा रहा है कि आगामी बिहार चुनाव से पहले मोदी सरकार भी इसी तरह के बड़े पैकेज की घोषणा कर सकती है।
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