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भाजपा के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के पुनर्गठन में नितिन गडकरी का डिमोशन और फडणवीस का हुआ प्रमोशन

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, मुंबई , (BJP Parliamentary Board ) : भाजपा के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का पुनर्गठन किया गया है। भाजपा ने अपने संसदीय बोर्ड में बड़ा बदलाव करते हुए नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया है।

इतना ही नहीं इन दोनों नेताओं को 15 सदस्यों वाली केंद्रीय चुनाव समिति में भी जगह नहीं मिली है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को भाजपा ने केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल कर उनका प्रमोशन किया है। इस फैसले को महाराष्ट्र और केंद्र में बड़ा सियासी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।

भाजपा संसदीय बोर्ड से हटाए गए गडकरी और शिवराज

भाजपा संसदीय बोर्ड से गडकरी और शिवराज को हटाकर एक नया संकेत दिया गया है। इससे पहले भी गोवा और बिहार जैसे राज्यों में चुनाव की जिम्मेदारी संभाल चुके देवेंद्र फडणवीस को नेतृत्व प्रमोट कर चुका है। लेकिन अब केंद्रीय चुनाव समिति में जगह देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि फडणवीस का दायरा अब महाराष्ट्र से बाहर भी हो गया है और भाजपा में उनका कद राष्ट्रीय हो गया है।

यही नहीं फडणवीस को आज ही महाराष्ट्र विधानपरिषद का नेता भी घोषित किया गया है। लेकिन दूसरी ओर नितिन गडकरी के साथ ऐसा नहीं हुआ है और वह अब सिर्फ केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ही हैं। भाजपा में उनके पास कोई पद नहीं है और न ही वह किसी राज्य के प्रभारी हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि नितिन गडकरी का सियासी रसूख अब पहले जैैसा नहीं रह गया है।

काफी समय से अहम भूमिका से वंचित रहे हैं गडकरी

गौरतलब है कि नितिन गडकरी काफी लंबे समय से भाजपा के साइडलाइन में दिखते रहे हैं। चाहे वह पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव हों या फिर इसी वर्ष यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव की बात हो, वह कहीं भी प्रचार या किसी अन्य भूमिका में नहीं दिखे है। इस बावत भाजपा की ओर से यह तर्क दिया गया है कि संसदीय बोर्ड में बदलाव करते हुए किसी भी सीएम को इसमें नहीं रखा गया है।

नितिन गडकरी का संसदीय बोर्ड से बाहर होना आश्चर्य जनक

भाजपा द्वारा शिवराज सिंह चौहान को बाहर किया जाना समझ में आता है, लेकिन नितिन गडकरी को बाहर करना आश्चर्य जनक कदम है। इसकी वजह यह है कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षों को संसदीय बोर्ड में शामिल करने की परंपरा रही है। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से बाहर किए जाने के बाद ही यह परंपरा टूट गई थी। लेकिन नितिन गडकरी मौजूदा सियासत के सक्रिय नेताओं में हैं, ऐसे में उनका बाहर किया जाना आश्चर्यजनक जरूर है। फिलहाल इस मामले में नितिन गडकरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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Umesh Kumar Sharma

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