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शहर में मानव जीवन की कीमत क्या है? जानें बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी से क्यों पूछा ये सवाल

Shubham Pathak • LAST UPDATED : April 5, 2024, 1:43 pm IST

India News(इंडिया न्यूज),Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को बीएमसी को मध्य मुंबई के वडाला में महर्षि कर्वे गार्डन में एक खुले पानी के टैंक में दो लड़कों के डूबने के मामले में फटकार लगाई है। जहां 1 अप्रैल की घटना के बाद पीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से सवाल किया कि “शहर में मानव जीवन की कीमत क्या है इसके साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागरिक लापरवाही के कारण होने वाली मौतों के मामलों में मुआवजे के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की।

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अदालत ने दिया समाचार पत्र का हवाला

अदालत ने एक घटना पर समाचार रिपोर्टों का हवाला दिया जिसमें 4 और पांच साल की उम्र के दो छोटे बच्चों के लापता होने की सूचना मिली थी और 1 अप्रैल को वे मृत पाए गए थे। उनके शव एक नागरिक उद्यान में पानी की टंकी में पाए गए थे, जिसमें कोई उचित कवर या ढक्कन नहीं था। समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि दोषी नागरिक अधिकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जा रही है।

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“इस शहर में इंसान की कीमत क्या है”

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि, इस शहर में इंसान की जान की कीमत क्या है? क्या बीएमसी की तथाकथित “बजटीय बाधाएं” नागरिक कार्यों के दौरान न्यूनतम सुरक्षा सावधानियां प्रदान करने में विफलता का उत्तर हैं? नागरिक जिम्मेदारी, लापरवाही के सवाल और वित्तीय जिम्मेदारी से संबंधित मुद्दे भी होंगे, न केवल बीएमसी के व्यक्तिगत अधिकारियों के लिए बल्कि एक निकाय के रूप में निगम के लिए भी।

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