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BR Ambedkar Death Anniversary: डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि आज, जानें बाबासहेब के कुछ प्रेरक कथन

India News(इंडिया न्यूज),BR Ambedkar Death Anniversary: आज का दिन यानी 6 दिसंबर को भारत में डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथी के तौर पर मनाते है। बीआर अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू के एक गांव में हुआ था। जानकारी के लिए बता दें कि, भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाले बीआर अंबेडकर, जिन्हें संविधान के जनक के रूप में भी जाना जाता है वो बाबासाहेब के नाम से मशहूर हुए।

छुआछूत को खत्म करने की पहल

छुआछूत की सामाजिक बुराई को खत्म करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और देश भर में दलितों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए काम करने के लिए लड़ाई लड़ी। इसके साथ ही वे आज़ादी के बाद भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सात सदस्यों में से एक थे। उनकी मृत्यु की सालगिरह पर उनकी स्मृति का सम्मान करने और उन सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए उनके कुछ प्रेरक उद्धरण यहां दिए गए हैं जिन पर वह दृढ़ता से विश्वास करते थे।

जानें डॉ. बीआर अंबेडकर के प्रेरक कथन

1. बीआर अंबेडकर: समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन फिर भी इसे एक शासकीय सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना चाहिए।”

2. बीआर अंबेडकर: कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार हो जाता है, तो दवा दी जानी चाहिए।” –

3. बीआर अंबेडकर: मैं नहीं चाहता कि भारतीय के रूप में हमारी निष्ठा किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक निष्ठा से जरा भी प्रभावित हो, चाहे वह निष्ठा हमारे धर्म से उत्पन्न हो, हमारी संस्कृति से हो या हमारी भाषा से हो। मैं चाहता हूं कि सभी लोग पहले भारतीय बनें, भारतीय आख़िरी और कुछ नहीं बल्कि भारतीय।”

4. बीआर अंबेडकर: मनुष्य नश्वर हैं। विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितनी एक पौधे को पानी की। अन्यथा, दोनों सूख जाएंगे और मर जाएंगे।”

5. बीआर अंबेडकर:  जाति ईंटों की दीवार या कांटेदार तारों की रेखा जैसी कोई भौतिक वस्तु नहीं है जो हिंदुओं को एक साथ आने से रोकती है और इसलिए, जिसे उखाड़ फेंका जाना चाहिए। जाति एक धारणा है; यह मन की एक स्थिति है। ”

6. बीआर अंबेडकर: एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से इस मायने में भिन्न होता है कि वह समाज का सेवक बनने के लिए तैयार रहता है।

7. बीआर अंबेडकरः मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति के आधार पर मापता हूं।”

8. बीआर अंबेडकरः मन की खेती मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए।”

9. बीआर अंबेडकरः अगर मुझे लगता है कि संविधान का दुरुपयोग हो रहा है, तो मैं इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।”

10. बीआर अंबेडकरः इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र में संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों के लिए कभी भी स्वेच्छा से खुद को विघटित नहीं किया गया है, जब तक कि उन्हें मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न हो।

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Shubham Pathak

शुभम पाठक लगभग दो वर्ष से पत्रिकारिता जगत में है। वर्तमान में इंडिया न्यूज नेशनल डेस्क पर कार्यरत है। वहीं इससे पूर्व में STV Haryana, TV100, NEWS India Express और Globegust में काम कर चुके हैं। संपर्क का स्रोत:- sirshubham84@gmail.com

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