India News (इंडिया न्यूज), Budget 2024: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करने जा रही हैं। माना जा रहा है कि इस बार के बजट को लेकर कुछ बड़ा ऐलान किया जा सकता है। खास तौर पर मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स को लेकर राहत दी जा सकती है। नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव हो सकता है। इसी को देखते हुए बैंकबाजार ने नए इनकम टैक्स स्लैब का प्रस्ताव रखा है। अगर ऐसा कुछ ऐलान होता है तो 10 लाख से ज्यादा कमाने वालों को बड़ा फायदा होगा।

नहीं देना होगा 30 फीसदी टैक्स?

बैंकबाजार का नया टैक्स स्लैब प्रस्ताव यह है कि अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 18 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे 30 फीसदी टैक्स नहीं देना होगा। फिलहाल टैक्स व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। ऐसे में अगर टैक्स स्लैब में यह बदलाव होता है तो 18 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 30 फीसदी तक टैक्स नहीं देना होगा।

पुरानी कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब

गौरतलब है कि यह प्रस्ताव पुरानी कर व्यवस्था के लिए है। जिसके तहत 10 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होता है। टैक्स स्ट्रक्चर की बात करें तो 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है, 5 लाख से 10 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत टैक्स लगता है और 10 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है।

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टैक्स स्लैब में क्यों होना चाहिए बदलाव?

बजट 24 के लिए बैंकबाजार प्राइमर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पुरानी व्यवस्था के लिए 20% और 30% स्लैब को अपडेट किया जाना चाहिए। लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर 2012-13 और 2024-25 के लिए मान क्रमशः 200 और 363 हैं, जो सूचकांक में 81.5% की वृद्धि दर्शाता है। हाल के वर्षों में लगातार मुद्रास्फीति ने सूचकांक में काफी वृद्धि की है। इस कारण यह आवश्यक है कि पुरानी स्लैब दर में बदलाव किया जाए।

यह भी रखा जाएगा प्रस्ताव

  • 80सी सीमा: 2014 में तय की गई 1.5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर कम से कम 2 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
  • 80डी कटौती: कोविड के बाद बीमा प्रीमियम की बढ़ती लागत को देखते हुए इसे सामान्य करदाताओं के लिए 50,000 रुपये और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 100,000 रुपये किया जाना चाहिए।
  • होम लोन ब्याज और मूलधन भुगतान: इन्हें अलग-अलग वर्गों में रखा जाना चाहिए, जो 5 लाख रुपये तक हो सकते हैं।
  • 87ए के तहत छूट: इसे 2019 में किए गए अंतिम अपडेट की तुलना में 6.3 लाख रुपये तक की आय तक बढ़ाया जाना चाहिए।

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