India News (इंडिया न्यूज), Anna Sebastian Perayil: किसी भी सामान्य परिवार के लिए बच्चों को अच्छी नौकरी मिलना एक सपने के सच होने जैसा होता है। महाराष्ट्र के पुणे का एक ऐसा ही मामला है जिसने सबको सदमे में डाल दिया है। केरल की चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल (Anna Sebastian Perayil) ने मात्र 26 साल की उम्र में प्रतिष्ठित कंपनी EY में मार्च 2024 में नौकरी हासिल की थी। लेकिन इस नौकरी ने जल्द ही उनके जीवन का अन्त कर दिया। ईवाई (EY) में काम करने वाले उनके सहकर्मी ने बताया कि अधिक काम और अनुचित व्यवहार के कारण कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होते हैं।
EY के एक कर्मचारी ने बताया कि वरिष्ठ कर्मचारी अपने अधीनस्थों को अपमानित करते हैं और अगर कोई इसकी शिकायत एचआर (HR) को करने की कोशिश करता है तो उसे पता चलता है कि एचआर भी उसी संरचना का हिस्सा है। उसकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि एचआर तंत्र में भी सुधार की आवश्यकता है ताकि कर्मचारियों की शिकायतें सुनी जा सकें और उन पर तुरंत कार्यवाही हो सके।
इस घटना ने कार्यस्थल पर कर्मचारियों की मानवाधिकारों और उनकी भलाई के मुद्दों को उजागर किया है। कर्मचारी ने कहा, “हर किसी को नरक में यातना दी जाती है। कोई सामाजिक जीवन नहीं है, कोई व्यक्तिगत समय नहीं।” व्यस्त मौसम में, कर्मचारियों को औसतन 16 घंटे प्रतिदिन काम करना पड़ता है, जिसका सीधा असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
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जुलाई 2024 में एना की आत्महत्या की खबर ने उनके परिवार को गहरे दुःख में डाल दिया। एना की मां, अनीता ऑगस्टीन ने कंपनी के अध्यक्ष राजीव मेमानी को लिखे पत्र में वर्क प्रेशर और बॉस के दबाव का आरोप लगाया है। अनीता ने दुखी मन से लिखा, “मैंने अपना अनमोल बच्चा खो दिया है। मेरी बेटी ने 19 मार्च को EY पुणे जॉइन किया था, लेकिन चार महीने बाद, 20 जुलाई को, मेरी दुनिया बिखर गई।”
अनीता के पत्र में यह भी उल्लेख है कि नए वातावरण और लंबे कार्यकाल के कारण एना को शारीरिक और मानसिक नुकसान हुआ। उसकी टीम के कई सदस्य पहले ही रिजाइन कर चुके थे, जिससे एना पर अधिक काम का दबाव आ गया था। उससे अनिद्रा, चिंता, और तनाव की समस्याएं होने लगीं। पत्र में उन्होंने लिखा, “कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है,” ऐसा एना मानती थी लेकिन उसकी मेहनत ने उसकी जान ले ली।
एना की मां ने पत्र में बताया कि उसका बॉस उसे दिनभर के काम के बाद भी अतिरिक्त काम देता था। यहां तक कि वीकेंड्स पर भी उसे काम करना पड़ता था। अनीता का कहना है कि उसकी बेटी देर रात तक और कई बार पूरी रात जगकर काम करती थी, जिससे उसकी तबियत बिगड़ने लगी थी। फिर भी कंपनी का कोई भी प्रतिनिधि एना की अंतिम यात्र में शामिल नहीं हुआ।
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