India News (इंडिया न्यूज़), Sedition Law Repealed, नई दिल्ली: केंद्र सरकार राजद्रोह कानून को खत्म कर रही है। अब दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश अब पुलिस अधिकारी नहीं कोर्ट देगा। केंद्र सरकार मुकदमों को लेकर जो कानून हैं उनमें बड़े बदलाव लेकर आई है। जिसमें राजद्रोह को खत्म करने का फैसला शामिल है। उसकी जगह नया कानून आ रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद तीन विधेयक रखे जो आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस से जुड़े हुए हैं। अपराध से जुड़े कानूनों में ज्यादातर वही हैं। जिन्हें अंग्रेजों ने बनया था। उनके पीछे इरादा भारतीयों को भयभीत रखने का था।
आप देखिए कि इंडियन पीनल कोड जो 1860 में बनाया गया और क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1898 में बना। इंडियन एविडेंस एक्ट भी अंग्रेजों ने संसद ने 1872 में पास किया था। सारे कानून तब से चले आ रहे हैं जबकि देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए। मोदी सरकार ने उन कानूनों की सख्ती और न्याय के रास्ते में अड़चन डालने की प्रकृति को समझा। इसलिए आज की तारीख में 1500 से अधिक पुराने कानूनों को सरकार ने खत्म कर दिया। राजद्रोह कानून में बदलाव उसी का विस्तार है।
संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीनों कानूनों यानी आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस से जुड़े कानूनों को समाप्त कर तीन नए कानून बनाने के लिए आया हूं। उन्होंने यह बात बिल्कुल सही कही है कि अंग्रेजों ने जो कानून बनाए वह दंड देने के लिए थे। स्वतंत्र भारत में कानून न्याय दिलाने के लिए होने चाहिए और इसी के चलते राजद्रोह कानून को हटाकर नए कानूनों को जगह दी जा रही है। यह कानून हमेशा से विवादों में रहा है। जो भी पार्टी सत्ता में होती है उसके ऊपर विपक्ष इस कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाता रहा है। एक चर्चित केस है केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि इसे कानून व्यवस्था की गड़बड़ी या फिर हिंसा के लिए उकसाने तक ही सीमित होना चाहिए।
इधर ऐसे कई मामले रहे जिनके चलते यह कानून चर्चा में रहा। मसलन कांग्रेस नेता शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। सरकार को बिल लेकर आई है। उसके अनुसार नए कानूनों के जरिए कुल 313 बदलाव किए गए हैं। नए प्रावधानों में कहा गया है कि कि जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने जाएगी। राजद्रोह की सजा बदली गई है। नए बिल में राजद्रोह का नाम हटा दिया गया है। कुछ बदलावों के साथ धारा 150 के तहत प्रावधान बरकरार रखे गए हैं। प्रस्तावित धारा 150 में राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
सरकार न्याय व्यवस्था को बेवजह के बोझ से मुक्त औऱ चुस्त-दुरुस्त करने की तैयारी में भी दिख रही है। साल 2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज किया जाएगा। अगर कोई आदमी गिरफ्तार होता है तो ऐसे में उसके परिवार वालों को फौरन जानकारी दी जाएगी। इसके लिए पुलिस का एक अधिकारी अगल से नियुक्त किया जाएगा। जिन धाराओं में 3 साल तक की सजा हो सकती है। उनके मुकदमों का समरी ट्रायल होगा। नई व्यवस्था में 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा। मतलब ये है कि सुनवाई और फैसला दोनों तय समय में निपटाए जाएंगे। अगर चार्ज फ्रेम हो गया तो 30 दिन के अंदर जज को अपना फैसला देना होगा।
वहीं सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है। तो 120 दोनों के अंदर केस चलाने की अनुमति देना आवश्यक होगा। जो ऑर्गनाइज्ड क्राइम है उसमें सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। फांसी को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। लेकिन पूरी तरह बरी करना आसान नहीं होगा। नए बदलावों की सबसे बड़ी बात ये है कि हर आदमी को 3 साल के अंदर न्याय मिलेगा।
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