इंडिया न्यूज, New Delhi News। Data Protection Bill : बुधवार को केंद्र सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा से वापस ले लिया है। इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर सिफारिशों पर विचार करने के लिए इसे वापस लिया गया है। बता दें कि विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। समिति ने इस विधेयक में 81 संशोधनों का सुझाव दिया था।

यह बताया बिल को वापस लेने का उद्देश्य

वहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से वापस लिए गए बिल का उद्देश्य व्यक्तियों को उनेक पर्सनल डेटा को सुरक्षा प्रदान करना, डेटा के उपयोग को निर्दिष्ट करना और डेटा को संसाधित करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच विश्वास का संबंध बनाना है। इसके अतिरिक्त इसमें और कई बिन्दुओं का जिक्र किया गया था।

2018 में सौंपी गई रिपोर्ट पर आधारित था विधेयक का मसौदा

आपको बता दें कि विधेयक का मसौदा सरकार ने पिछले साल जारी किया था, जिसका कई वैश्विक कंपनियों ने विरोध किया था। कंपनियों का कहना था कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। साथ ही परिचालन व्यय भी बढ़ेगा। विधेयक का मसौदा जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण द्वारा जुलाई, 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट पर आधारित था।

कानून तोड़ने पर जुर्माने का भी किया गया था प्रविधान

जानकारी अनुसार मसौदा विधेयक में लोगों के डाटा का इस्तेमाल उनकी अनुमति से ही करने का प्रविधान किया गया था। साथ ही डाटा संग्रह के लिए देश में ही सर्वर स्थापित करने का जिक्र था।

विधेयक में प्रस्ताव था कि कानून तोड़ने पर कंपनी पर 15 करोड़ या उसके ग्लोबल टर्नओवर के 4 परसेंट तक का जुर्माना लगाया जाए। संवेदनशील डेटा को भारत के अंदर सर्वर पर स्टोर करना होगा।

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