India News(इंडिया न्यूज),Rohingya Muslim: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि विदेशियों को सभी मामलों में शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। खासकर तब जब इनमें से अधिकतर लोग अवैध रूप से देश में दाखिल हुए हों।

सरकार ने दावा किया कि रोहिंग्याओं के लगातार अवैध प्रवास से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत ने 1951 के शरणार्थी सम्मेलन या शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकॉल, 1967 का उल्लंघन नहीं किया है।

रोहिंग्याओं को रिहा करने की याचिका पर सुनवाई

इस प्रकार किसी भी श्रेणी के व्यक्तियों को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी जानी है या नहीं यह एक शुद्ध नीतिगत निर्णय है। यह हलफनामा उस याचिका के संबंध में दायर किया गया है जिसमें जेलों या हिरासत केंद्रों या किशोर गृहों में बंद रोहिंग्याओं को रिहा करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।

उन्हें बिना किसी कारण के या विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सीमित संसाधनों वाले विकासशील देश के तौर पर अपने नागरिकों को प्राथमिकता देना जरूरी है।

इसलिए विदेशियों को पूरी तरह से शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। खासकर ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर विदेशी अवैध रूप से देश में दाखिल हुए हैं।

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