India News (इंडिया न्यूज़),Chandauli Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश के सबसे पूर्वी इलाके और पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से सटे चंदौली में पिछले दो चुनावों के नतीजे वाराणसी जैसे ही आ रहे हैं। लेकिन चंदौली का मिजाज इस बार वाराणसी जैसा नहीं है। 2014 और 2019 के दोनों आम चुनावों में बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली लोकसभा सीट से जीते हैं। लेकिन, पहली मोदी लहर में जितने वोट उन्हें मिले थे, 2019 में उससे दसवें हिस्से से भी कम रह गए। महेंद्र नाथ पांडेय बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और वह प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
महेंद्र नाथ पांडेय ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटरों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। महेंद्र नाथ पांडेय इस बार भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है जो पांडेय जी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं, बीएसपी ने मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना दिया है। BSP ने यहां से पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले सत्येंद्र मौर्य को टिकट दिया है।
क्या है चंदौली लोकसभा सीट का इतिहास
बता दें कि, चंदौली लोकसभा सीट पर कुल 17 बार चुनाव हुए हैं। चंदौली के मतदाताओं ने लगभग सभी राजनीतिक दलों को मौका दिया है। जिसमें कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की है। जनता पार्टी, संयुक्त समाजवादी पार्टी, समाजवादी पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। भाजपा के उम्मीदवार पांच बार जीते हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने दो बार जीत दर्ज की है। चंदौली की जनता ने बहुजन समाज पार्टी को भी एक बार मौका दिया है।
विधानसभा का समीकरण
चंदौली लोकसभा के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें से तीन सीटें चंदौली जिले की और दो सीटें वाराणसी जिले की हैं। इन पांच सीटों में से सकलडीहा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है, जबकि अन्य चार सीटों मुगलसराय, सैयदराजा, अजगरा और शिवपुर पर भाजपा का कब्जा है। अजगरा सीट आरक्षित है। अगर विधानसभा सीटों के आधार पर बात करें तो भाजपा का पलड़ा भारी दिखता हुआ नजर आ रहा है।
चंदौली लोकसभा का जातिगत समीकरण
बीजेपी के उम्मीदवार डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने 2014 में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था, लेकिन 2019 में यह अंतर काफी कम हो गया। 2019 में डॉ पांडे महज 13,959 वोटों से जीते थे। इस बार सपा के वीरेंद्र कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। इस सीट पर मौर्य मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। पहले मौर्य बीजेपी के साथ थे, लेकिन अगर मौर्य वोट बीजेपी से कटते हैं तो महेंद्र नाथ पांडे को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बीएसपी ने मौर्य उम्मीदवार उतारकर बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है।
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