India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayan-3: भारत का मिशन चंद्रयान आखिर सफल हुआ। चंद्रयान- की लैंडिंग के साथ ही भारत ने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। इस मिशन की सफलता के साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश भारत बन गया है। साथ ही भारत उन देशों की सूची में भी शामिल हो गया है जिन्होंने चांद पर सफल लैंडिंग की है। अब तक रूस, चीन और अमेरिका ही चांद पर सफल लैंडिंग में कामयाब रहे हैं।
रूस के मून मिशन लूना-25 के विफल होने के बाद दुनिया भर की निगाहें भारत के चंद्रयान-3 की ओर लगी थीं। हालांकि इसरो ने भी पहले से ही कहा था कि हम चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पर्याप्त एहतियात बरत रहे हैं। हम आपको बताएंगे कि जिन वजहों से रूस का मून मिशन नाकाम हुआ उन्हें पहले से ही भांपते हुए इसरो ने अपनी तैयारी कर रखी थी।
रूस की विफलता का सबसे बड़ा कारण जो बना था वो था कि रूस ने काफी लंबे समय तक अपने चंद्र कार्यक्रम को बंद कर रखा था। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने भी लूना-25 के फेल होने के बाद इसे स्वीकारा था। उन्होंने कहा था कि लगभग 50 वर्षों तक चंद्र कार्यक्रम को बाधित करना लूना 25 की विफलता का मुख्य कारण है। हमारे पूर्ववर्तियों ने 1960 और 1970 के दशक में जो अमूल्य अनुभव अर्जित किया था, वह अंतरिक्ष कार्यक्रमों की रुकावट के दौरान व्यावहारिक रूप से खो गया था।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रासकास्माज ने 10 अगस्त को लूना- 25 अंतरिक्ष यान लांच किया था। इसे मास्को से लगभग 3,450 मील (5,550 किमी) पूर्व में स्थित वोस्तोचनी कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। लूना- 25 को 313 टन वजनी रॉकेट सोयुज 2.1 बी में भेजा गया था। मिशन को नाम लूना- ग्लोब दिया गया था। हालांकि यह सफल हो पाता इससे पहले ही मिशन चांद की सतह से टकराकर क्रैश हो गया।
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