India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan-3, नई दिल्ली: चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अपने कैमरे LHDAC से अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बड़े पत्थर और गड्ढे रहित जगह तलाश रहा है। जिससे बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सके। सोमवार सुबह ISRO ने कहा कि बचाव करने और खतरे का पता लगाने में विक्रम सक्षम है। सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रस्तावित जगह की मैपिंग कर लैंडर विक्रम उसकी फोटोज ले रहा है। इसके द्वारा खींची गई ब्लैक ऐंड वाइट तस्वीरों के जरिए लैंडिंग साइट ढूंढने में मदद मिलेगी।
लैंडर विक्रम को साउथ पोल में उतरना है। जिसके बारे में दुनिया के पास बहुत कम जानकारी है। ISRO के पूर्व निदेशक के. सिवन ने इसे लेकर कहा, “हमने जो बदलाव किए, वे काफी लाभदायक रहे हैं। हमने चंद्रयान-2 की लैंडिंग प्रक्रिया के बाद डेटा देखा था, उसके आधार पर चंद्रयान-3 मिशन में काफी सुधार किया गया है। हमने तकनीक में कई बदलाव और अपडेट किए हैं। जहां भी मार्जिन कम है, हमने उन मार्जिन को बढ़ाया। सेंसर में भी बड़ा सुधार किया है। चंद्रयान-2 से हमने जो सबक सीखा है, उसके आधार पर सिस्टम अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि (चंद्रयान-2) के उलट इस बार यह सतह पर उतरने में सफल रहेगा।”
बता दें कि 2019 में चंद्रयान-2 मिशन चांद की सतह छूने ही वाला था कि तभी लैंडर विक्रम क्रैश कर गया था। ISRO चीफ के. सिवन स दौरान रो पड़े थे। जिसके बाद मिशन को देखने के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका ढाढस बढ़ाया था। ISRO के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर ने कहा कि सॉफ्ट लैंडिंग यानी कि ‘टचडाउन’ बेहद ही जटिल प्रक्रिया है।
वहीं 2008 में चंद्रयान-1 के लॉन्च के दौरान ISRO की अगुआई कर रहे नायर ने कहा, “चंद्रयान-2 के समय हम (चंद्रमा की सतह से ऊपर) आखिरी दो किलोमीटर में चूक गए। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें एक साथ काम करना होगा। थ्रस्टर, सेंसर, अल्टीमीटर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और बाकी सभी चीजें। कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर…हम मुसीबत में पड़ सकते हैं। हमें वास्तव में सतर्क रहना होगा और निगरानी रखनी होगी। बेशक, मैं समझता हूं कि इसरो ने पर्याप्त तैयारी की है, लेकिन हमें अपनी तरफ से दुआ करनी होगी।”
वहीं ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ ने विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा, “अगर सब कुछ फेल हो जाता है और अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा। बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार लैंडर विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी ये लैंडिंग में सक्षम होगा। विक्रम लैंडर अपने साथ प्रज्ञान रोवर ले जा रहा है, जो कि चंद्रमा की सतह से आंकड़े जुटाएगा। कुल मिलाकर यह ISRO के भविष्य के अभियानों के लिए बड़ी शुरुआत होने जा रही है।”
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