India News ( इंडिया न्यूज़ ), Chandrayaan-3: के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के पुन: कार्य लिए सक्रिय होने की अब कोई उम्मीद नहीं है। यह बात शुक्रवार को एक जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक के द्वारा कही गई, जो कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन के संभावित अंत का यह संकेत है। मिशन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे अंतरिक्ष आयोग के सदस्य एवं इसके साथ ही इसरो के पूर्व अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा कि, ‘नहीं, अब इसके फिर सक्रिय होने की कोई उम्मीद नहीं है।’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 सितंबर को कहा कि नया चंद्र दिवस शुरू होने के बाद सौर ऊर्जा चालित ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया गया हैं ताकि जिससे उनके फिर से सक्रिय होने की संभावना का पता लगाया जा सके। जारी रहेंगे
बता दें कि लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिवस की अवधि (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) तक कार्य करने के लिए बनाया गया था। वहीं इसरो के अधिकारियों के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के सभी तीन उद्देश्यों हासिल कर लिया गया हैं जिनमें चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’, चंद्रमा पर घूमने वाले रोवर का प्रदर्शन के साथ ही चंद्र के सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग भी शामिल हैं। चंद्रयान-3 मिशन की उपलब्धि के संबंध में किरण कुमार कहती हैं कि, ‘बड़े अर्थों में, आपने निश्चित रूप से जो हासिल किया है वो ये है कि आप एक ऐसे क्षेत्र (दक्षिणी ध्रुव) पर पहुंच गए हैं। जहां पर कोई और नहीं पहुंचा है तथा उस क्षेत्र का वास्तविक डेटा प्राप्त नहीं किया है। यह वास्तव में बहुत ही उपयोगी जानकारी है। इससे बाद के अभियानों को ज्ञान के संदर्भ और उन गतिविधियों की योजना बनाने के संदर्भ में लाभ होगा जो कि आप उस क्षेत्र में करना चाहते हैं.’
इसके साथ ही उन्होंने इसरो द्वारा चंद्रमा से नमूने लाए जाने के संबंधी मिशन शुरू करने की संभावना के बारे में भी चर्चा की, लेकिन इस तरह का अभियान शुरू होने के लिए कोई समय-सीमा नहीं दी है। कुमार ने आगे कहा, ‘हां, निश्चित तौर से भविष्य में यह सब वहां होगा क्योंकि ये सभी वह प्रौद्योगिकी क्षमताएं हैं जिन्हें आप विकसित करते रहते हैं। अब इसने (चंद्रयान-3) ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उपलब्धि हासिल की है और इसके बाद के अभियानों में वहां से सामग्री उठाई जाएगी और वापस लाई जाएगी, निश्चित तौर पर वे सभी मिशन किये जाएंगे।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘भविष्य में इनमें से कई चीजों पर कार्य किया होगा। योजनाएं बनाई जाएंगी और फिर प्रौद्योगिकी विकास के समग्र दृष्टिकोण के आधार पर प्रस्तावित किये जाएंगे.’ इसके साथ ही कुमार ने आगे कहा, ‘यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि समग्र योजना कैसे बनती है और कितने संसाधन इसमें उपलब्ध कराए जाते हैं। इसलिए यह (नमूना-वापसी मिशन के लिए समयसीमा) बताना बहुत ही मुश्किल है.’
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