India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan-3: भारत ने आज एक ऐसा इतिहास रचा है जिसे पूरी दूनिया देख रही है। दूनियाभर के लोगों के लिए ये शायद आश्चर्य की बात होगी के मात्र 600 करोड़ रुपए की लागत में ये मिशन तैयार हुआ है। इस कामियाबी और इन सब बातों को देखते हुए आज पूरे भारतियों के भारत के विज्ञान पर गर्व है।

भारत का अभूतपूर्व मिशन चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग की है। इस अप्रतिम उपलब्धी को पाने वाला भारत पहला देश बन गया है। यानि भारत पहला देश है जिसने सॉउथ पोल में सफलतापुर्वक लैंडिंग की है। मालूम हो कि इससे पहले जितने भी मिशन चंद्रमा पर गए हैं वो सभी चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर ही पहुंच पाए हैं।

दुनिया का इसरो पर बड़ा विश्वास

इसरों के द्वारा सॉफ्ट लैंडिंग के बाद आज दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों के मुकाबले ISRO का कद कई गुना ऊपर हो गया है। हालांकि, इंडियन स्पेस ऑर्गेनाइजेशन का स्टेलाइट की लॉन्चिग को लेकर 99 फिसदी का सक्सेस रेट है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस मिशन को लेकर आज इसरो को बधाई दे रही हैं।

14 अगस्त को हुआ था लॉन्च

बता दें कि चंद्रायन-2 का विफलता के बाद इसरो ने लगभग चार साल के बाद मिशन चंद्रयान-3 14 जूलाई को श्री हरिकोटा से ल़़ॉन्च किया। मिशन चंद्रयान-3 पृथ्वी से चद्रमा तक 38400 किलोमीटर की दूरी 40 दिनों में तय करता हुआ चंद्रमा की सतह के पास पहुंच गया है। आज  23 अगस्त को शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामियाब रहा। विज्ञान के लिए ये मिशन अहम रहने वाला है। लैंडर मॉड्यूल के अंदर उपस्थित राोवर सिस्टम चंद्रमा की तरह पर जाकर कई अहम खोजें करेगा।

चंद्रयान-3 का अब तक का सफर

  • 14 जुलाई- LVM-3 M-4 व्हीकल के द्वारा चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। और चंद्रयान-3 ने अपनी यात्रा शुरू की।
  • 15 जुलाई- आईएसटीआरएसी/इसरो, बेंगलुरु से कक्षा बढ़ाने की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई. यान 41762 किलोमीटर x 173 किलोमीटर कक्षा में है।
  • 17 जुलाई: दूसरी कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. चंद्रयान-3 ने 41603 किलोमीटर x 226 किलोमीटर कक्षा में प्रवेश किया.
  • 22 जुलाई- पृथ्वी की अन्य कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हुई।
  • 25 जुलाई- इसरो ने इस दिन चंद्रयान-3 को पृथ्वी की अगले ऑर्बिट पर स्थापित किया।
  • 1 अगस्त- इसरो ने ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ (एक तरह का तेज धक्का) को सफलतापूर्वक पूरा किया और अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर ऑर्बिट में स्थापित किया।
  • 5 अगस्त- चंद्रयान-3 की लूनर ऑर्बिट इनसर्शन (चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की प्रक्रिया) सफलतापूर्वक पूरी हुई।
  • 6 अगस्त- इसरो ने दूसरे लूनर बाउंड फेज (एलबीएन) की प्रक्रिया पूरी की। इसके साथ ही यान चंद्रमा के निकट अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा के ऑर्बिट में प्रवेश के दौरान चंद्रयान-3 द्वारा लिया गया चंद्रमा का वीडियो जारी किया।
  • 9 अगस्त- चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया के पूरा होने के बाद चंद्रयान-3 की ऑर्बिट को घटकर 174 किलोमीटर x 1437 किलोमीटर कर दिया गया।
  • 14 अगस्त- चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया के पूरा होने के बाद चंद्रयान-3 कक्षा का चक्कर लगाने के चरण में पहुंचा। यान 151 किलोमीटर x 179 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा।
  • 16 अगस्त- ‘फायरिंग’ की एक और प्रक्रिया पूरी होने के बाद यान को 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचाया गया।
  • 17 अगस्त- लैंडर मॉडयूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया।
  • 19 अगस्त : इसरो ने अपनी कक्षा को घटाने के लिए लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया की. लैंडर मॉड्यूल अब चंद्रमा के निकट 113 किलोमीटर x 157 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा.
  • 20 अगस्त: लैंडर मॉड्यूल पर एक और डी-बूस्टिंग यानी कक्षा घटाने की प्रक्रिया पूरी की गई. लैंडर मॉड्यूल 25 किलोमीटर x 134 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा.
  • 21 अगस्त- चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का ‘वेलकम बडी’ (स्वागत दोस्त) कहकर स्वागत किया।
  • 22 अगस्त- इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से करीब 70 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें जारी कीं।
  • 23 अगस्त- शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिग कराई गई।

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