India News (इंडिया न्यूज), ISRO ने पहले ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 उतारकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाला भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दुनिया का पहला संगठन भी है। चंद्रयान-3 की अपार सफलता के बाद इसरो ने अब पूरी तरह चंद्रयान-4 पर ध्यान केंद्रित कर लिया है। बीते बुधवार को इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 के पुर्जे एक नहीं बल्कि दो लॉन्च में भेजे जाएंगे। इन पुर्जों को पहले कक्षा में भेजा जाएगा और फिर अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो शायद यह दुनिया में पहली बार होगा और इसरो चांद पर पहुंचने से पहले ही इतिहास रच देगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 का मुख्य लक्ष्य चांद से नमूने लाना है।
आपको बता दें कि इसरो का मिशन चंद्रयान-4 बेहद जटिल और महत्वपूर्ण मिशन है। इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि इसरो लैंडर और जापान रोवर मॉड्यूल तैयार कर रहा है। इस मिशन को इसरो और जापान की JAXA मिलकर कर रही है। मिशन को वर्ष 2026 तक चांद पर भेजने की तैयारी है। इसरो पहले ही कह चुका है कि चंद्रयान-4 की लैंडिंग साइट शिव-शक्ति प्वाइंट पर होगी। यह वही जगह है, जहां चंद्रयान-3 उतरा था। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रयान-3 ने लैंडिंग के बाद चांद पर कई अहम जगहों की खोज की थी। जिससे नए मिशन में काफी मदद मिलने वाली है।
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बुधवार को बताया कि चंद्रयान-4 को एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा, बल्कि इसके बजाय स्पेसक्राफ्ट के अलग-अलग हिस्सों को दो लॉन्च के जरिए ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इसके बाद चांद पर जाने से पहले स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा। ऐसा इसलिए करना होगा क्योंकि चंद्रयान-4 की वहन क्षमता इसरो के मौजूदा सबसे शक्तिशाली रॉकेट की क्षमता से ज्यादा होगी।
बता दें कि, इससे पहले भी कई एजेंसियों की ओर से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में स्पेसक्राफ्ट के हिस्सों को जोड़ने का काम किया जा चुका है। लेकिन, इसरो और जाक्सा की यह कोशिश दुनिया में पहली बार होगी, क्योंकि इससे पहले किसी भी अंतरिक्ष यान को अलग-अलग हिस्सों में लॉन्च किया जाता है और फिर उन हिस्सों को अंतरिक्ष में जोड़ा जाता है। इस कारनामे के साथ ही इसरो चांद पर उतरने से पहले ही इतिहास रच देगा।
सोमनाथ ने कहा कि, चंद्रयान-4 का लक्ष्य चांद से नमूने धरती पर लाना है। इससे पहले हाल ही में चीन ने ऐसा कारनामा किया है। अब बारी इसरो की है। इसके लिए इसरो और जापान की एजेंसी जाक्सा मिलकर काम कर रही है। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सोमनाथ ने कहा कि, हमने चंद्रयान-4 की संरचना पर इस तरह काम किया है कि चांद से नमूने धरती पर कैसे लाए जाएं? हम इसे कई लॉन्च के साथ करने का प्रस्ताव रखते हैं, क्योंकि हमारी मौजूदा रॉकेट क्षमता एक बार में ऐसा करने के लिए पर्याप्त (मजबूत) नहीं है। इसलिए, हमें अंतरिक्ष में डॉकिंग क्षमता (अंतरिक्ष यान के विभिन्न हिस्सों को जोड़ना) की आवश्यकता है। इस क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए हमारे पास इस साल के अंत में स्पैडेक्स नामक एक मिशन निर्धारित है।
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