Chardham Project
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
चारधाम परियोजना को मंजूरी देने और सड़क चौड़ीकरण के खिलाफ एनजीओ ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका पर आज सुप्रीप कोर्ट में सरकार ने अपना पक्ष रखा। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी को उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जाएगी तो देश की रक्षा कैसे करेगी, युद्ध कैसे लड़ेगी। चीन की सीमा तक सेना को पहाड़ी दर्रों से पहुंचने के लिए बड़े स्तर पर काम करना जरूरी है। चाहे भूस्खलन हो या बर्फबारी।
हालांकि भूस्खलन की घटनाओं पर सरकार ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में आपदा कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। केके वेणुगोपाल ने कहा कि इंडो-चीन सीमा के पास दुर्गम इलाकों में सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिक और खाद्य आपूर्ति को भेजना होता है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है। इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़ी गाड़ियों की जरूरत है। अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा पाएगी तो युद्ध कैसे लड़ेगी।
वेणुगोपाल ने मजबूती के साथ सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि भूस्खलन तो देश में कहीं भी हो सकता है, इस तरह की आपदा से निपटने के लिए कई जरूरी कदम उठाए गए हैं। सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है।
इसके बाद न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने याचिका पर अपने आदेश को संशोधित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया और कहा कि क्षेत्र में भूस्खलन कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों के बारे में लिखित में दें।
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