India News (इंडिया न्यूज़), Chhath Puja 2023: महापर्व छठ पूजा शुरु होने महज कुछ दिनों का समय बचा है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है। पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। वहीं इस पर्व का समापन भोर अर्घ्य के साथ होता है।
इस पर्व में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ हीं इस पर्व के नियम भी काफी कठिन होते हैं। वहीं एस पर्व के दौरान एक खास परंपरा भी चली आ रही है। कोसी भरने की परंपरा को बहुत अधिक महत्वपूर्ण कहा जाता है। कहा जाता है कि जिनकी मनोकामनाएं पूरी नहीं होरी हो या फिर असाध्य रोग हो गया हो, ऐसे में कोसी भरने का संकल्प लिया जाता है।
कोसी भरने की परंपरा
जिसके बाद छठी मईया के आर्शीवाद से सारे दुख खत्म हो जाते हैं। वहीं भक्तजन मईया के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए कोसी भरते हैं। कहा जाता है कि इस संकल्प से निःसंतान दम्पत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। वहीं पूरे परिवार का स्वास्थय भी अच्छा रहाता है। शास्त्रों और पुराणों की मानें तो शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपने-अपने घर में या छत पर कोसी भरने की परंपरा को किया जाता है।
जिसके लिए सबसे पहले मिट्टी के हाथी को सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद 12 या 24 दिये जलाए जाते हैं। फिर कलश पर फल, ठेकुआ और बाकी पूजा सामग्री रखी जाती है। इसके बाद कोसी पर और उसके अंदर दीपक जलाया जाता है। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देने वाली सामग्री से भरी सूप और बाकी सारे सामानों पर दीपक जलाया जाता है। इन सारे कामों को करने के बाद अगले दिन की सुबह में घाट पर कोसी भरी जाती है। बता दें कोसी भरने के दौरान हर नियम का पालन करना बेहद जरूरी है। वहीं इस दौरान शुद्दता और पवित्रता का खास महत्व है।
पांच गन्ने का क्या मतलब
कोसी भराई की परंपरा बेहद हीं खास है। इस दौरान महिलाएं पूजा करती हैं, तो वहीं पुरुष कोसी की सेवा करते हैं। जिसे उत्तर भारत में कोसी सेवना कहा जाता हैं। जिसके घर पर कोसी भरी जाती है, उसके घर पर रात भर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दौरान महिलाएं गीत गाकर मनोकामना पूर्ण करने के लिए छठी मईया का आभार प्रकट करती हैं। बता दें कि कोसी भराई के दौरान पांच गन्नो का बेहद खास महत्व होता है। पांच गन्ने को पंचतत्व कहा जाता है। पांच गन्ने भूमि, वायु, अग्नि, जल और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस बार
Also Read:
- Chhath Puja 2023: छठ पूजा में सूर्यदेव को अर्घ्य देने का क्या है महत्व, जानें क्या कहते हैे शास्त्र
- Chhath Puja 2023: चार दिन के छठ महापर्व में किस दिन क्या होता है? जानें नहाय-खाय से लेकर भोर अर्घ्य तक की प्रथा
- छठ पूजा में क्यों दिया जाता है सूर्यदेव को अर्घ्य? जानें क्या है इसका महत्व